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Atomic Habits Book Summary in Hindi

Atomic Habits Book Summary in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम James Clear द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध किताब Atomic Habits के बारे में जानेंगे। हमारे जीवन में आदतों का महत्व बहुत अधिक होता है।आदतें हमारे जीवन का destination decide करती है। हम Future में क्या बनेंगे, कैसे person बनेंगे यह हमारी आदते ही decide करती है क्योंकि आदतें हमारे दिनचर्या को नियंत्रित करती हैं, हमारे व्यवहार को स्थिर रखती हैं और हमें अच्छे या बुरे निर्णय लेने में मदद करती हैं। अच्छी आदतें हमें सफलता की दिशा में ले जाती हैं, जबकि बुरी आदतें हमारी प्रगति को रोक सकती हैं। अगर आप किसी बुरी आदत को छोड़कर अच्छी आदतें बनाना चाहते हैं, तो एटॉमिक हैबिट किताब आपकी मदद कर सकती है। बहुत बार हम बुरी आदतें छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन छोड़ नहीं पाते और अच्छी आदतों को बहुत effort करने के बाद भी continue नहीं रख पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम गलत तरीकों से आदतें बदलने या बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं। इस किताब में हम इन सभी समस्याओं के effective और practical solutions के बारे में जानेंगे।
यह किताब हमारी आदतों के पीछे के science को detail से समझाती है, जिसे हम इस summary में सबसे आसान तरीके से कवर करेंगे। तो चलिए, किताब को विस्तार से जानते हैं।

भाग 1: क्या छोटे बदलाव बड़ा असर दिखाते हैं

Atomic Habits का मतलब है हमारे रोज़ाना किए जाने वाले छोटे-छोटे काम, जिन्हें हम शायद कभी नोटिस भी नहीं करते। इन छोटे-छोटे काम को ही “एटॉमिक हैबिट्स” कहा जाता है। एटॉमिक हैबिट्स की शक्ति को समझने से पहले हमें यह जानना होगा कि कैसे छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं।

i) छोटी-छोटी आदतों की चमत्कारी ताकत

ग्रेट ब्रिटेन में ब्रिटिश साइक्लिंग की हालत बहुत खराब थी। ब्रिटिश साइक्लिस्ट ने 1908 से लेकर करीब 100 साल तक एक भी गोल्ड मेडल नहीं जीता था। और Tour de France रेसिंग प्रतियोगिता में तो हालत इतनी खराब थी कि करीब 110 साल में किसी भी ब्रिटिश साइक्लिस्ट ने Tour de France नहीं जीता था। उनका प्रदर्शन इतना खराब था कि यूरोप की साइकिल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने उन्हें साइकिल बेचने से भी इनकार कर दिया ताकि उनकी मार्केट रेपुटेशन खराब न हो।

ब्रिटिश साइक्लिंग का भाग्य तब बदला जब संस्थान ने डेव ब्रेल्सफोर्ड (Dave Brailsford) को परफॉर्मेंस डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया। डेव ब्रेल्सफोर्ड ने टीम के प्रदर्शन को सुधारने के लिए एक रणनीति अपनाई जिसे वे “The Aggregation of Marginal Gains” कहते हैं। उन्होंने सबसे पहले छोटी-छोटी चीजों में बदलाव करके उनमें सुधार करने की कोशिश की।

जैसे:

  • साइकिल की सीट को दोबारा डिजाइन करवाया ताकि साइक्लिस्ट को बैठने में आराम महसूस हो।
  • टायरों पर अल्कोहल लगाया ताकि साइकिल बेहतर चल सके।
  • साइक्लिस्ट को इलेक्ट्रिकल हीटेड पैंट्स पहनाए ताकि उनके मसल्स का तापमान बनाए रखा जा सके।
  • वर्कआउट के दौरान उनके स्टेटस को जानने के लिए बायो-फीडबैक सेंसर लगवाए।
  • अलग-अलग तरह के लोशन लगाकर यह टेस्ट किया कि कौन सा लोशन मसल्स को जल्दी ठीक करता है।
  • साइकिल चलाते समय इनडोर रेसिंग शॉर्ट्स का इस्तेमाल किया जो हल्के और एयरोडायनामिक साबित हुए।
  • ठंड से बचने के लिए हाथ धोने के सही तरीकों को सिखाया।
  • नींद पूरी हो सके इसके लिए आरामदायक तकिए का इस्तेमाल किया।
  • साइकिल रखने वाले कमरे को सफेद रंग से पेंट करवाया ताकि धूल नजर आ सके और साइकिल को साफ रखने की जरूरत महसूस हो।

डेव ब्रेल्सफोर्ड ने इस तरह से बहुत सारे छोटे-छोटे कदम उठाए और उनमें सुधार किया, जिसका परिणाम 5 साल बाद सबके सामने था। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में ब्रिटिश साइक्लिंग टीम ने सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते। चार साल बाद जब ओलंपिक लंदन में हुआ तो उसमें ब्रिटिश साइक्लिंग ने 9 ओलंपिक रिकॉर्ड और 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। इस तरह 2007 से लेकर 2017 तक 10 साल में ब्रिटिश साइक्लिस्ट ने 178 वर्ल्ड चैंपियनशिप और 66 ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स गोल्ड मेडल जीते, साथ ही 5 बार Tour de France भी जीत चुके थे।

इस तरह डेव ब्रेल्सफोर्ड ने छोटी-छोटी चीजों में सुधार करके एक साधारण सी टीम को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया। उनका कहना है, “बेहतर साइक्लिस्ट बनने के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें अगर हम छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटें और उनमें थोड़ा-थोड़ा सुधार करें, तो आखिर में जब हम पूरे परिणाम को एक साथ देखेंगे, तो यह बहुत बड़ा बदलाव ला चुका होगा।”

क्यों छोटी आदतें बड़े बदलाव करती हैं

किताब के लेखक James Clear बताते हैं कि किसी भी बड़ी चीज को हासिल करने के लिए हमारे द्वारा लिए गए छोटे-छोटे कदमों में सुधार होना बहुत मायने रखता है। हम अक्सर बड़े अचीवमेंट के लिए बड़े प्रयास करने के बारे में सोचते हैं या उस दिन का इंतजार करते हैं। जैसे वज़न कम करना हो, बिज़नेस को बढ़ाना हो, किताबें लिखनी हों, यूट्यूब चैनल शुरू करना हो या फिर पैसे बचाने हों, किसी भी गोल को हासिल करने के लिए हम सोचते हैं कि बड़ा कदम उठाना होगा। लेकिन लेखक बताते हैं कि आपके किसी भी लक्ष्य के लिए लिया गया हर छोटा-सा कदम भी अगर रोज़ाना किया जाए तो यह बड़ा बदलाव ला सकता है।

  • जैसे कि वज़न कम करने के लिए रोज़ाना 15 मिनट का वर्कआउट भी समय आने पर आपका वज़न कम कर सकता है।
  • या फिर हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करके आप एक अच्छे पेंटर बन सकते हैं।

छोटे-छोटे प्रयास क्यों बड़ा बदलाव लाते हैं, इसे जानने के लिए हमें इसके कारण को समझना होगा।

1% Rule

लेखक बताते हैं कि अगर हम किसी भी चीज़ को रोज़ाना 1% करें, तो उसका असर साल के अंत में 37 गुना होता है। अगर हम रोज़ाना 1% भी अपने आप में सुधार करें, यानी सेल्फ-इम्प्रूवमेंट और डेवेलपमेंट के लिए पॉजिटिव एक्शन्स लें, तो वह हमें साल के अंत में 37 गुना ज्यादा पॉजिटिव असर दिखाता है। वहीं, अगर हम रोज़ाना 1% भी खराब होते हैं या बुरी चीजें करते हैं, तो उसका 37 गुना बुरा असर पड़ता है और हम चार्ट में दिखाए गए डायग्राम की तरह गिरावट के साथ माइनस में पहुंच जाते हैं।

Atomic Habits Book Summary in Hindi
Atomic Habits Book Summary in Hindi

दैनिक जीवन में छोटे बदलाव तुरंत नजर नहीं आते, लेकिन समय के साथ उनका प्रभाव बड़ा होता है। यह समझना मुश्किल हो सकता है क्योंकि छोटे बदलाव तुरंत बड़ा फर्क नहीं दिखाते। हम अक्सर छोटे बदलावों को नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि वे उस समय बहुत मायने नहीं रखते। यदि आप अभी थोड़े पैसे बचाते हैं, तो तुरंत ही आप करोड़पति नहीं बन जाते। यदि आप तीन दिन लगातार जिम जाते हैं, तो भी आप फिट नहीं होते। हम कुछ बदलाव करते हैं, लेकिन परिणाम जल्दी नहीं आते और इसलिए हम अपनी पिछली दिनचर्या में वापस चले जाते हैं। बुरी आदतें भी धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती हैं। अगर आप आज अस्वास्थ्यकर भोजन करते हैं, तो वजन तुरंत नहीं बढ़ता। अगर आप आज रात देर तक काम करते हैं और अपने परिवार को नजरअंदाज करते हैं, तो वे माफ कर देंगे। लेकिन जब हम 1 प्रतिशत की गलतियाँ दोहराते हैं, दिन-ब-दिन, खराब निर्णयों को दोहराते हुए, और छोटी गलतियों को दोहराते हुए, हमारी छोटी-छोटी चॉइसें विषैले परिणामों में जमा हो जाती हैं। यह कई गलत कदमों का संचय है—यहाँ और वहाँ 1 प्रतिशत की गिरावट—जो अंततः समस्या की ओर ले जाती है। ये छोटे-छोटे बुरे निर्णय समय के साथ बड़े नुकसान में बदल सकते हैं।

कल्पना कीजिए कि आप लॉस एंजिल्स से न्यूयॉर्क शहर के लिए उड़ान भर रहे हैं। यदि एक पायलट LAX से उड़ान भरते समय केवल 3.5 डिग्री दक्षिण की ओर हेडिंग समायोजित करता है, तो आप न्यूयॉर्क के बजाय वाशिंगटन, डी.सी. में उतरेंगे। इसी प्रकार, आपकी दैनिक आदतों में एक छोटा सा परिवर्तन आपके जीवन को बहुत अलग गंतव्य पर ले जा सकता है। एक निर्णय जो 1 प्रतिशत बेहतर या 1 प्रतिशत खराब हो, वह क्षण में महत्वहीन लगता है, लेकिन उन क्षणों के फैलाव के दौरान जो एक जीवन भर बनाते हैं, ये चॉइसें यह निर्धारित करती हैं कि आप कौन हैं और आप कौन हो सकते हैं

सफलता बड़े बदलावों का परिणाम नहीं है, बल्कि दैनिक आदतों का है। यह मायने नहीं रखता कि आप अभी कितने सफल हैं, बल्कि यह मायने रखता है कि आपकी आदतें आपको किस दिशा में ले जा रही हैं। अगर आप महीने में जितना कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च करते हैं, तो आप एक गलत दिशा में जा रहे हैं। अगर आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा बचाते हैं, तो आप सही दिशा में हैं, भले ही आप धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हों। आपका निवल मूल्य आपकी वित्तीय आदतों का परिणाम है। आपका वजन आपकी खाने की आदतों का परिणाम है। आपका ज्ञान आपकी सीखने की आदतों का परिणाम है। आप वही पाते हैं जो आप बार-बार करते हैं। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आप जीवन में कहाँ पहुंचेंगे, तो आपको अपनी छोटी-छोटी आदतों को देखना होगा। समय जो भी आप इसे देंगे, उसे बढ़ाएगा। अच्छी आदतें समय को आपका दोस्त बनाती हैं और बुरी आदतें समय को आपका दुश्मन। आदतें एक दोधारी तलवार हैं। बुरी आदतें आपको उतनी ही आसानी से नुकसान पहुंचा सकती हैं जितनी आसानी से अच्छी आदतें आपको फायदा पहुंचा सकती हैं। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि आदतें कैसे काम करती हैं और उन्हें अपनी पसंद के अनुसार कैसे डिजाइन किया जाए, ताकि आप बुरी आदतों के नुकसान से बच सकें।

रोजाना 1 प्रतिशत सुधार करने का विचार इस बात को समझने में मदद करता है कि छोटे-छोटे कदम समय के साथ मिलकर बड़ी सफलता में बदल सकते हैं। ये छोटे-छोटे कदम:

  • स्वास्थ्य: रोजाना थोड़ा-सा व्यायाम, स्वस्थ भोजन, और अच्छी नींद से दीर्घकालिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • वित्त: रोजाना थोड़ा पैसा बचाना और समझदारी से खर्च करना दीर्घकाल में वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
  • ज्ञान: रोजाना थोड़ी-सी पढ़ाई और नई चीजें सीखना समय के साथ आपके ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है।
  • रिश्ते: रोजाना अपने प्रियजनों के साथ थोड़ा समय बिताना और उन्हें महत्व देना रिश्तों को मजबूत करता है।

आदतें धीरे-धीरे बनती हैं और समय के साथ मजबूत होती जाती हैं। एक बार में बड़ा बदलाव करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन छोटे-छोटे कदम उठाना आसान होता है। जब ये छोटे कदम दोहराए जाते हैं, तो वे आपकी आदतें बन जाती हैं और समय के साथ बड़ा प्रभाव डालती हैं। कल्पना कीजिए, आप हर दिन 1 प्रतिशत बेहतर खाने की आदतें अपनाते हैं। पहले दिन, यह छोटे बदलाव की तरह लगेगा, जैसे चीनी की मात्रा कम करना। लेकिन महीने के अंत तक, ये छोटे-छोटे बदलाव मिलकर आपकी खाने की आदतों में बड़ा सुधार ला सकते हैं, जिससे आपका वजन और स्वास्थ्य दोनों बेहतर हो जाएंगे।

आपकी आदतें आपके लिए संयोजित हो सकती हैं या फिर विरोध में खड़ी हो सकती हैं

लेखक ने बताया कि आपकी आदतें आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आपकी आदतें आपके लिए सकारात्मक या नकारात्मक संयोजक ( कंपाउंडिंग) हो सकती हैं। सकारात्मक कंपाउंडिंग में, जैसे कि उत्पादकता, ज्ञान और रिश्ते, कुछ छोटे-मोटे कार्य या आदतें जो आप निरंतर करते हैं, वे आपके लिए बड़ी प्रगति का स्रोत बन सकती हैं। उनका असर समय के साथ बढ़ता है और आपके जीवन को सुधारते हैं। जैसे हर दिन व्यायाम करना आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

विपरीत, नकारात्मक कंपाउंडिंग में, तनाव, नकारात्मक विचार, और क्रोध जैसी आदतें जब लंबे समय तक जारी रहती हैं, तो वे समस्याएं बन सकती हैं और आपके लिए कठिनाईयों का कारण बन सकती हैं। यह सब दिखाता है कि हमारी छोटी-छोटी आदतें जीवन में कितना महत्वपूर्ण होती हैं और वे हमारे भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। जैसे हर दिन जंक फूड खाना आपके स्वास्थ्य को खराब करता है।

प्रगति वास्तव में कैसी होती है?

प्रगति एक रैखिक रेखा में नहीं होती है बल्कि एक घुमावदार रेखा में होती है। यह कभी-कभी धीमी गति से होती है और फिर अचानक तेज गति से बढ़ती है। हमें अपनी प्रगति को समझने और स्वीकार करने की जरूरत होती है कि यह हमेशा सीधी रेखा में नहीं होती।

कल्पना कीजिए कि आपके सामने मेज पर एक बर्फ का टुकड़ा रखा हुआ है। कमरा ठंडा है और आप अपनी सांस देख सकते हैं। वर्तमान में तापमान पच्चीस डिग्री है। धीरे-धीरे, कमरा गर्म होने लगता है। छब्बीस डिग्री। सत्ताईस। अठ्ठाईस। बर्फ का टुकड़ा अभी भी आपके सामने मेज पर रखा हुआ है। उनतीस डिग्री। तीस। इकत्तीस। अभी भी कुछ नहीं हुआ है। फिर, बत्तीस डिग्री। बर्फ पिघलने लगती है। एक डिग्री का बदलाव, जो पहले के तापमान वृद्धि से दिखने में अलग नहीं था, ने एक बड़ा परिवर्तन खोल दिया है। जैसे-जैसे तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है, बर्फ का टुकड़ा पिघलने से पहले एक महत्वपूर्ण बिंदु (32 डिग्री) तक पहुँचता है। इसी तरह, आदतें अक्सर कोई फर्क नहीं दिखाती जब तक आप एक महत्वपूर्ण सीमा पार नहीं कर लेते हमारी आदतें । छोटे प्रयास धीरे-धीरे प्रभाव दिखाते हैं और एक महत्वपूर्ण बिंदु पर बड़ी सफलता में परिवर्तित होते हैं।

सबसे शक्तिशाली परिणाम विलंबित होते हैं। इसलिए, आदतें बनाना कठिन हो सकता है क्योंकि हम त्वरित परिणाम की उम्मीद करते हैं। जब परिणाम जल्द नहीं दिखते, तो लोग निराश होकर अच्छी आदतें छोड़ सकते हैं। आप सोचते हैं, “मैंने एक महीने से हर दिन दौड़ लगाई है, तो फिर मेरे शरीर में कोई बदलाव क्यों नहीं दिख रहा?” जब इस प्रकार की सोच हावी हो जाती है, तो अच्छी आदतों को छोड़ना आसान हो जाता है। लेकिन एक महत्वपूर्ण अंतर बनाने के लिए, आदतों को इस पठार को पार करने के लिए लंबे समय तक बने रहना चाहिए—जिसे लेखक “सुप्त संभावितता का पठार” कहता है।

Atomic Habits Book Summary in Hindi

यदि आप एक अच्छी आदत बनाने या एक बुरी आदत को तोड़ने में संघर्ष कर रहे हैं, तो यह इसलिए नहीं है कि आपने सुधार की क्षमता खो दी है। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपने अभी तक सुप्त संभावितता के पठार को पार नहीं किया है। कठिन परिश्रम करने के बावजूद सफलता न मिलने की शिकायत करना वैसा ही है जैसे बर्फ के टुकड़े के पिघलने की शिकायत करना जब आपने इसे पच्चीस से इकत्तीस डिग्री तक गर्म किया हो। आपका काम बर्बाद नहीं हुआ था; यह बस संग्रहीत हो रहा था। सारा एक्शन बत्तीस डिग्री पर होता है। जब आप अंततः सुप्त संभावितता के पठार को पार कर जाते हैं, तो लोग इसे एक रात की सफलता कहते हैं। इस पठार को पार करने के लिए धैर्य और निरंतरता की आवश्यकता होती है। हमारे प्रयासों के परिणाम अक्सर विलंबित होते हैं। यह महीनों या वर्षों बाद तक नहीं होता है कि हमें एहसास होता है कि हमने जो पहले काम किया था उसका असली मूल्य क्या था। इसका परिणाम एक “निराशा की घाटी” हो सकता है जहां लोग हफ्तों या महीनों की कड़ी मेहनत के बाद बिना किसी परिणाम के निराश महसूस करते हैं।

लक्ष्य को भूलकर व्यवस्था पर पूरा ध्यान दें

लोग अक्सर मानते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें विशिष्ट और कार्रवाई योग्य लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए, जैसे बेहतर शेप में आना, सफल व्यवसाय बनाना, अधिक आराम करना, और दोस्तों और परिवार के साथ अधिक समय बिताना। लेखक ने समझाया कि हमें अपने लक्ष्यों की बजाय अपनी व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए। लक्ष्य हमें केवल दिशा दिखाते हैं, जबकि व्यवस्था हमें वहां तक पहुंचाने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, अगर आपका लक्ष्य वजन कम करना है, तो आपको अपने खान-पान और व्यायाम की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।

सिस्टम्स और लक्ष्यों में अंतर

  • लक्ष्य आपके द्वारा प्राप्त किए जाने वाले परिणामों के बारे में होते हैं।
  • सिस्टम्स उन प्रक्रियाओं के बारे में होते हैं जो उन परिणामों की ओर ले जाती हैं।

उदाहरण:

  • एक कोच का लक्ष्य चैंपियनशिप जीतना हो सकता है, लेकिन उसका सिस्टम खिलाड़ियों की भर्ती, सहायक कोचों का प्रबंधन, और अभ्यास का संचालन होता है।
  • एक उद्यमी का लक्ष्य मिलियन-डॉलर का व्यवसाय बनाना हो सकता है, लेकिन उसका सिस्टम उत्पाद विचारों का परीक्षण, कर्मचारियों की नियुक्ति, और मार्केटिंग अभियान चलाना होता है।
  • एक संगीतकार का लक्ष्य नया टुकड़ा बजाना हो सकता है, लेकिन उसका सिस्टम नियमित अभ्यास, कठिन मापदंडों पर काम करना, और शिक्षक से फीडबैक लेना होता है।

यदि आप बेहतर परिणाम चाहते हैं, तो लक्ष्य निर्धारित करने के बजाय अपने सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करें। तो क्या लक्ष्य पूरी तरह से बेकार हैं? बिल्कुल नहीं। लक्ष्य दिशा निर्धारित करने के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन प्रगति करने के लिए सिस्टम सबसे अच्छे होते हैं। जब आप अपने लक्ष्यों के बारे में बहुत अधिक सोचते हैं और अपने सिस्टम को डिज़ाइन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हैं, तो कुछ समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यदि आप अपने लक्ष्यों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दें और केवल अपने सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करें, तो भी आप सफल हो सकते हैं।

समस्या 1: जितने और हारने वालों का लक्ष्य समान होता है

लक्ष्य निर्धारण में एक समस्या है जिसे सर्वाइवरशिप बायस कहा जाता है। हम उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो अंततः सफल होते हैं और मान लेते हैं कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य उनकी सफलता का कारण थे, जबकि उन लोगों को नजरअंदाज कर देते हैं जिनके पास वही उद्देश्य थे लेकिन वे सफल नहीं हो सके। हर व्यक्ति, चाहे वह सफल हो या असफल, एक ही लक्ष्य रखता है, इसलिए लक्ष्य नहीं बल्कि सिस्टम की निरंतर सुधार प्रक्रिया सफलता का कारण बनती है। उदाहरण के लिए, हर खिलाड़ी का लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना होता है, लेकिन केवल कुछ ही इसे प्राप्त कर पाते हैं। इससे पता चलता है कि लक्ष्य महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि प्रक्रिया और व्यवस्था महत्वपूर्ण है।

समस्या 2: लक्ष्य प्राप्त करना क्षणिक परिवर्तन मात्र होता है

लक्ष्य प्राप्त करना केवल अस्थायी रूप से परिवर्तन लाता है। अगर आपने अपने कमरे को साफ करने का लक्ष्य रखा और उसे हासिल कर लिया, लेकिन आपकी आदतें नहीं बदलीं, तो जल्द ही कमरा फिर से गंदा हो जाएगा। असली सुधार सिस्टम में बदलाव लाने से होता है, न कि केवल परिणाम पर ध्यान केंद्रित करने से। इनपुट को सुधारने पर आउटपुट अपने आप ठीक हो जाता है।

समस्या 3: लक्ष्य आपकी खुशियों को सीमित करते हैं

लेखक बताते हैं कि लक्ष्य आपकी खुशियों को सीमित कर सकते हैं। लक्ष्य-उन्मुख सोच में यह मान लिया जाता है कि “जब मैं अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा, तब मैं खुश रहूंगा।” इस सोच के चलते हम अपनी खुशी को भविष्य के किसी एक बड़े काम तक टाल देते हैं। अगर हम केवल लक्ष्य पर ध्यान देते हैं, तो हमें लगेगा कि या तो हम सफल हैं या फिर असफल। इससे हम अपनी खुशी को एक ही चीज पर निर्भर बना लेते हैं। इसके बजाय, अगर हम प्रक्रिया को पसंद करने लगें, तो हम किसी भी समय खुश रह सकते हैं, क्योंकि हम अपने सिस्टम का पालन कर रहे होते हैं। इस तरह, हमें खुशी पाने के लिए किसी एक लक्ष्य की जरूरत नहीं होती। इससे बेहतर है कि आप अपनी प्रक्रियाओं पर ध्यान दें और अपनी यात्रा का आनंद लें।

समस्या 4: लक्ष्यों का दीर्घकालिक प्रगति के साथ टकराव

लक्ष्य-उन्मुख सोच एक “यो-यो” प्रभाव पैदा कर सकती है, जहाँ लोग लक्ष्य प्राप्त करने के बाद अपनी पुरानी आदतों पर लौट आते हैं। जब आप केवल एक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उसे प्राप्त करने के बाद प्रेरणा समाप्त हो जाती है। सिस्टम बनाने का उद्देश्य खेल खेलते रहना है, न कि केवल खेल जीतना। दीर्घकालिक प्रगति के लिए निरंतर सुधार और प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक है।

छोटी-छोटी आदतों की व्यवस्था

अगर आप अपनी आदतें बदलने में मुश्किल हो रहे हैं, तो समस्या आप में नहीं है, समस्या आपके सिस्टम में है। बुरी आदतें बार-बार दोहराती हैं क्योंकि आपके पास बदलने के लिए सही सिस्टम नहीं है। आप अपने लक्ष्यों के स्तर तक नहीं उठते, आप अपने सिस्टम के स्तर तक गिर जाते हैं।

इस किताब का मुख्य संदेश यही है कि एकल लक्ष्य की बजाय संपूर्ण सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एटोमिक हैबिट्स छोटे बदलाव होते हैं जो बड़े परिणामों के निर्माण में मदद करते हैं। आदतें हमारे जीवन के मौलिक इकाइयां होती हैं जो हमारे सुधार में योगदान करती हैं। ये छोटे-छोटे रूटीन शुरू में अस्पष्ट लगते हैं, लेकिन जल्दी ही एक-दूसरे पर निर्माण करते हैं और बड़े लाभों को जन्म देते हैं। ये छोटे भी हैं और शक्तिशाली भी होते हैं, यही एटोमिक हैबिट्स का अर्थ है।

ii) आदतें किस तरह आपकी पहचान बनाती हैं और इसके विपरीत

इस लेख में बताया गया है कि बुरी आदतें बनाना आसान होता है, जैसे जंक फूड खाना या अधिक टीवी देखना। इसके विपरीत, अच्छी आदतें बनाना कठिन होता है, जैसे व्यायाम करना या ध्यान में रहना। यह इसलिए होता है क्योंकि हम अक्सर गलत तरीके से अपनी आदतें बदलने की कोशिश करते हैं। लेकिन सही तरीके से अपनी पहचान और इच्छाओं के आधार पर आदतें बनाने पर ध्यान केंद्रित करने से हमारे लिए यह बेहतर साबित हो सकता है।

बदलाव की तीन परतें

व्यवहार परिवर्तन के तीन स्तर हैं: आपके परिणामों में परिवर्तन, आपकी प्रक्रियाओं में परिवर्तन, या आपकी पहचान में परिवर्तन

Atomic Habits Book Summary in Hindi
  • परिणाम (Outcomes): यह स्तर आपके परिणामों को बदलने से संबंधित है: वजन कम करना, एक किताब प्रकाशित करना, एक चैंपियनशिप जीतना। आपके द्वारा सेट किए गए अधिकांश लक्ष्य इस परिवर्तन के स्तर से जुड़े होते हैं।
  • प्रक्रिया (Processes): यह स्तर आपकी आदतों और प्रणालियों को बदलने से संबंधित है: जिम में एक नया रूटीन लागू करना, बेहतर वर्कफ्लो के लिए अपनी डेस्क को साफ़ करना, एक ध्यान अभ्यास विकसित करना। आपके द्वारा बनाई गई अधिकांश आदतें इस स्तर से संबंधित होती हैं।
  • पहचान (Identity): ययह स्तर आपके विश्वासों को बदलने से संबंधित है: आपका विश्व दृष्टिकोण, आपकी आत्म-छवि, आपके स्वयं और दूसरों के बारे में निर्णय। आपके द्वारा रखे गए अधिकांश विश्वास, धारणाएं, और पूर्वाग्रह इस स्तर से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, “मैं एक स्वस्थ व्यक्ति हूँ।”

परिणाम आपके द्वारा प्राप्त की जाने वाली चीजों के बारे में होते हैं। प्रक्रियाएं आपके द्वारा की जाने वाली चीजों के बारे में होती हैं। पहचान आपके द्वारा माने जाने वाले विश्वासों के बारे में होती है। कई लोग अपनी आदतों को बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत इस पर ध्यान केंद्रित करके करते हैं कि वे क्या प्राप्त करना चाहते हैं। यह हमें परिणाम-आधारित आदतों की ओर ले जाता है। इसके विपरीत, पहचान-आधारित आदतें बनाना अधिक प्रभावी हो सकता है। इस दृष्टिकोण के साथ, हम इस पर ध्यान केंद्रित करके शुरुआत करते हैं कि हम कौन बनना चाहते हैं।

परिणाम-आधारित आदतों

परिणाम-आधारित आदतों में ध्यान मुख्यतः उन परिणामों पर होता है जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते हैं। यह दृष्टिकोण इस बात पर केंद्रित होता है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं, जैसे कि वजन कम करना, किताब प्रकाशित करना, या किसी प्रतियोगिता को जीतना।

उदाहरण:

  • लक्ष्य: 10 किलो वजन कम करना।
  • आदत: हर दिन 30 मिनट व्यायाम करना।

परिणाम-आधारित आदतों की मुख्य समस्या यह है कि यह केवल परिणामों पर ध्यान केंद्रित करती है, न कि उस प्रणाली या प्रक्रिया पर जो उन परिणामों को हासिल करने में मदद करती है। इससे यह संभव है कि लोग असफल हो जाएं क्योंकि वे अपने लक्ष्यों के बाद क्या करना है, यह नहीं समझ पाते हैं।

पहचान-आधारित आदतें

पहचान-आधारित आदतों में ध्यान इस बात पर होता है कि आप कौन बनना चाहते हैं। यह दृष्टिकोण इस बात पर केंद्रित होता है कि आपकी पहचान क्या है और आप किस प्रकार का व्यक्ति बनना चाहते हैं।

उदाहरण:

  • पहचान: एक स्वस्थ व्यक्ति बनना।
  • आदत: रोजाना व्यायाम करना क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करते हैं।

इस दृष्टिकोण की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह आपकी आदतों को आपकी पहचान का हिस्सा बनाता है। जब आप अपनी पहचान के अनुसार आदतें बनाते हैं, तो ये आदतें लंबे समय तक चलने वाली और अधिक स्थायी होती हैं।

कल्पना करें कि दो लोग सिगरेट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। जब उन्हें सिगरेट की पेशकश की जाती है, तो पहला व्यक्ति कहता है, “नहीं धन्यवाद। मैं इसे छोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ।” यह व्यक्ति अभी भी खुद को स्मोकर मानता है, जो कुछ और बनने की कोशिश कर रहा है।

दूसरा व्यक्ति कहता है, “नहीं धन्यवाद। मैं स्मोकर नहीं हूँ।” यह व्यक्ति खुद को अब स्मोकर नहीं मानता। यह पहचान में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव है।

अधिकांश लोग सुधार की कोशिश करते समय अपनी पहचान बदलने पर ध्यान नहीं देते। वे केवल सोचते हैं, “मैं पतला होना चाहता हूँ (परिणाम) और अगर मैं इस आहार का पालन करता हूँ, तो मैं पतला हो जाऊंगा (प्रक्रिया)।” वे अपने बारे में देखने के तरीके को कभी नहीं बदलते, और उन्हें यह एहसास नहीं होता कि उनकी पुरानी पहचान उनके नए बदलाव की योजनाओं को बिगाड़ सकती है।

ब्रायन क्लार्क की कहानी इसका अच्छा उदाहरण है। ब्रायन ने अपने नाखून चबाने की आदत को छोड़ने का निर्णय लिया और अपनी पत्नी से पहली बार मैनीक्योर करवाने को कहा। इससे उन्हें अपने नाखूनों पर गर्व महसूस हुआ और उन्होंने नाखून चबाना बंद कर दिया। यह इसलिए सफल हुआ क्योंकि उन्होंने अपने नाखूनों की देखभाल को अपनी पहचान का हिस्सा बना लिया।

आचरण जो आपकी पहचान के साथ मेल नहीं खाता, वह लंबे समय तक नहीं टिकेगा। आप अधिक पैसा चाहते हैं, लेकिन अगर आपकी पहचान एक उपभोक्ता की है, जो चीजें बनाता नहीं बल्कि सिर्फ खर्च करता है, तो आप खर्च करने की ओर ही आकर्षित होते रहेंगे। आप बेहतर स्वास्थ्य चाहते हैं, लेकिन अगर आप आराम को उपलब्धि से ऊपर रखते हैं, तो आप व्यायाम के बजाय आराम करने की ओर आकर्षित होंगे। अपनी आदतें बदलना मुश्किल है, अगर आपने उन गहरे विश्वासों को नहीं बदला है जो आपके पिछले आचरण की ओर ले गए। आपके पास एक नया लक्ष्य और नई योजना हो सकती है, लेकिन आपने खुद को नहीं बदला है।

आप किसी आदत को प्रेरणा से शुरू कर सकते हैं, लेकिन आप उसी के साथ टिके रहेंगे जब वह आपकी पहचान का हिस्सा बन जाएगी। कोई भी खुद को एक-दो बार जिम जाने या स्वस्थ खाने के लिए मना सकता है, लेकिन अगर आप व्यवहार के पीछे के विश्वास को नहीं बदलते, तो लंबे समय तक बदलाव पर टिके रहना मुश्किल है। सुधार तभी स्थायी होते हैं जब वे आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। लंबे समय तक टिकने वाली आदतें वही होती हैं जो आपकी पहचान का हिस्सा बन जाती हैं। सच्चा परिवर्तन तभी संभव है जब आप अपनी पहचान और विश्वासों को संपादित करते हैं और उन्हें नई आदतों के अनुरूप बनाते हैं।

सुधार तभी स्थायी होते हैं जब वे आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं।

  • उद्देश्य सिर्फ किताब पढ़ना नहीं है, उद्देश्य पाठक बनना है।
  • उद्देश्य सिर्फ मैराथन दौड़ना नहीं है, उद्देश्य धावक बनना है।
  • उद्देश्य सिर्फ एक वाद्य यंत्र सीखना नहीं है, उद्देश्य संगीतकार बनना है।

यह पहचान परिवर्तन भी एक दोधारी तलवार है। जब यह आपके लिए काम करता है, तो यह आत्म-सुधार के लिए एक शक्तिशाली बल हो सकता है। जब यह आपके खिलाफ काम करता है, तो यह एक अभिशाप बन सकता है। एक बार जब आप एक पहचान को अपना लेते हैं, तो इसे बदलने की आपकी क्षमता पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। लोग अपने जीवन में कई बार सोचने में आलसी हो जाते हैं और अपनी पहचान से जुड़ी आदतों का अंधाधुंध पालन करते हैं।

“मैं दिशाओं में खराब हूं।”
“मैं सुबह का व्यक्ति नहीं हूं।”
“मुझे लोगों के नाम याद रखने में दिक्कत होती है।”
“मैं हमेशा देर करता हूं।”
“मुझे तकनीक समझ नहीं आती।”
“मैं गणित में कमजोर हूं।”

जब आप सालों से एक कहानी को खुद से कहते हैं, तो इसे एक तथ्य के रूप में स्वीकार करना आसान हो जाता है। प्रगति के लिए खुद को निरंतर बदलना आवश्यक होता है। खुद का सबसे अच्छा संस्करण बनने के लिए आपको अपने विश्वासों को लगातार संपादित करना और अपनी पहचान को अपग्रेड और विस्तार करना पड़ता है।

पहचान बदलने की दो चरणों की प्रक्रिया

आपकी पहचान आपके आदतों से उत्पन्न होती है। आपकी आदतें वे होती हैं जिनसे आप अपनी पहचान को प्रकट करते हैं। जब आप हर दिन अपनी बिस्तर सजाते हैं, तो आप व्यवस्थित व्यक्ति की पहचान को प्रकट करते हैं। जब आप प्रति दिन लिखते हैं, तो आप एक रचनात्मक व्यक्ति की पहचान को प्रकट करते हैं। जब आप प्रति दिन प्रशिक्षण करते हैं, तो आप एक खिलाड़ी व्यक्ति की पहचान को प्रकट करते हैं।

अब, जो भी आपकी पहचान वर्तमान में है, उसका सबूत है उसे आप इसलिए मानते हैं क्योंकि आपके पास इसका प्रमाण है। यदि आप बीस साल तक हर रविवार चर्च जाते हैं, तो आपके पास यह सबूत है कि आप धार्मिक हैं। अगर आप हर रात बायोलॉजी पढ़ते हैं, तो आपके पास यह सबूत है कि आप अध्ययनशील हैं। अगर बर्फ गिरने पर भी जिम जाते हैं, तो आपके पास यह सबूत है कि आप फिटनेस के प्रति समर्पित हैं।

इस प्रकार, आदतों का निर्माण का प्रक्रिया वास्तव में खुद को बनाने की प्रक्रिया होती है। छोटे कदम, छोटी आदतें अर्थपूर्ण अंतर कर सकती हैं, नई पहचान के सबूत प्रदान करके।

पहचान बदलने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है:

  • आप कौन बनना चाहते हैं (Decide the person you want to be): यह पहला चरण है जहाँ आप यह तय करते हैं कि आप कौन बनना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, “मैं एक स्वस्थ व्यक्ति बनना चाहता हूँ।”
  • प्रमाणिकरण (Prove it to yourself with small wins): यह दूसरा चरण है जहाँ आप छोटी-छोटी जीत के माध्यम से खुद को यह साबित करते हैं। उदाहरण के लिए, रोज़ाना व्यायाम करना और स्वस्थ खान-पान का पालन करना।

आदतों की अहमियत का वास्तविक कारण

लेखक बताते हैं कि आदतें आपकी पहचान का हिस्सा बन जाती हैं और यह आपकी मान्यताओं और आत्म-संवेदन को प्रभावित करती हैं। जब आप किसी आदत को अपनाते हैं, तो आप उसे अपनी पहचान का हिस्सा बनाते हैं।

iii) 4 सरल तरीकों से बेहतर आदतें कैसे बनाएं

आपका दिमाग क्यों आदतें बनाता है

लेखक बताते हैं कि हमारा दिमाग आदतें इसलिए बनाता है क्योंकि यह ऊर्जा बचाने का सबसे अच्छा तरीका है। आदतें हमें सोचने की जरूरत को कम करके स्वचालित रूप से काम करने की क्षमता देती हैं।

आदतें कैसे काम करती हैं

एटॉमिक हैबिट्स” का यह अध्याय यह स्पष्ट करता है कि आदतें कैसे बनती हैं और उन्हें कैसे तोड़ा जा सकता है। यह समझने के लिए कि आदतें कैसे काम करती हैं, आदतें चार चरणों की प्रक्रिया से गुजरती हैं जिन्हें “हैबिट लूप” कहा जाता है: क्यू, क्रेविंग, रिस्पॉन्स, और रिवॉर्ड। यह ज्ञान हमें नई आदतें बनाने और पुरानी आदतों को तोड़ने में मदद कर सकता है। आदतें चार चरणों में काम करती हैं:

1. क्यू (Cue)
क्यू वह संकेत होता है जो आदत को ट्रिगर करता है। यह किसी भी प्रकार का संकेत हो सकता है – दृश्य, आवाज़, गंध, समय, स्थान, या कोई भावनात्मक स्थिति। उदाहरण के लिए:

  • जब आप सुबह उठते हैं और अलार्म बजता है, तो यह उठने का संकेत होता है।
  • जब आप फ्रिज खोलते हैं और एक चॉकलेट केक देखते हैं, तो यह खाने का संकेत हो सकता है।

2. क्रेविंग (Craving)
क्यू के बाद, क्रेविंग आती है, जो उस संकेत के प्रति हमारी प्रतिक्रिया होती है। क्रेविंग हमारी इच्छा को प्रदर्शित करती है। बिना क्रेविंग के, आदत पूरी नहीं होती। यह वह मानसिक या भावनात्मक स्थिति है जो हमें संकेत से प्रतिक्रिया की ओर खींचती है। उदाहरण के लिए:

  • अलार्म बजने के बाद, आपको उठने की इच्छा होती है क्योंकि आप दिन की शुरुआत करना चाहते हैं।
  • चॉकलेट केक देखने के बाद, आपके अंदर उसे खाने की इच्छा जागृत होती है।

3. रिस्पॉन्स (Response)
रिस्पॉन्स वह वास्तविक क्रिया है जो हम करते हैं। यह वह आदत है जिसे हम अपनाते हैं। यह क्रिया हमारी क्रेविंग को पूरा करती है। रिस्पॉन्स कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि हमारा समय, प्रयास, और मानसिक स्थिति। उदाहरण के लिए:

  • अलार्म बजने और उठने की इच्छा होने के बाद, आप उठते हैं और दिन की शुरुआत करते हैं।
  • चॉकलेट केक देखकर, आपकी इच्छा उसे खाने की होती है और आप उसे खाते हैं।

4. रिवॉर्ड (Reward)
रिवॉर्ड वह इनाम है जो हमें रिस्पॉन्स के बाद मिलता है। यह रिवॉर्ड हमारी क्रेविंग को पूरा करता है और हमें संतुष्टि देता है। रिवॉर्ड ही वह कारण है जिसके कारण आदतें समय के साथ मजबूत होती हैं। यह हमारे मस्तिष्क को संकेत देता है कि यह व्यवहार अच्छा है और इसे दोहराया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए:

  • उठने के बाद, आपको दिन की शुरुआत करने की संतुष्टि मिलती है।
  • चॉकलेट केक खाने के बाद, आपको उसका स्वाद और आनंद मिलता है।
उदाहरण: सुबह की आदत
  • क्यू (Cue): सुबह का अलार्म बजना।
  • क्रेविंग (Craving): उठने और दिन की शुरुआत करने की इच्छा।
  • रिस्पॉन्स (Response): बिस्तर से उठना।
  • रिवॉर्ड (Reward): ताजगी और दिन की शुरुआत करने की ऊर्जा।
उदाहरण: धूम्रपान की आदत
  • क्यू (Cue): दोस्तों के साथ बाहर जाना।
  • क्रेविंग (Craving): दोस्तों के साथ समय बिताने की इच्छा और सिगरेट पीने का अनुभव।
  • रिस्पॉन्स (Response): सिगरेट जलाना और पीना।
  • रिवॉर्ड (Reward): सिगरेट का स्वाद और सामाजिक जुड़ाव की भावना।

आदत का चक्र

लेखक बताते हैं कि आदत का चक्र चार चरणों में काम करता है: संकेत, लालसा, प्रतिक्रिया, और इनाम। यह चक्र हमारे मस्तिष्क में स्वचालित रूप से होता है और हमारी आदतें बनती और मजबूत होती हैं।

Atomic Habits Book Summary in Hindi

हम इन चार चरणों को दो चरणों में विभाजित कर सकते हैं: समस्या चरण और समाधान चरण। समस्या चरण में संकेत और इच्छा शामिल होते हैं, और यह वह समय होता है जब आपको यह अनुभव होता है कि कुछ बदलना चाहिए। समाधान चरण में प्रतिक्रिया और पुरस्कार शामिल होते हैं, और यह वह समय होता है जब आप कार्रवाई करते हैं और वह परिवर्तन प्राप्त करते हैं जिसे आप चाहते हैं।

समस्या चरण

  • संकेत: आपका फोन एक नए टेक्स्ट मैसेज के साथ वाइब्रेट करता है।
  • इच्छा: आप चाहते हैं कि आप मैसेज के अंदर की जानकारी प्राप्त करें।

समाधान चरण

  • प्रतिक्रिया: आप अपने फोन को पकड़कर मैसेज पढ़ते हैं।
  • पुरस्कार: आप अपनी इच्छा को पूरा करते हैं और मैसेज पढ़ने का आनंद लेते हैं। अपने फोन को पकड़ना अब आपके फोन के वाइब्रेट होने के साथ जुड़ गया है।

समस्या चरण

  • संकेत: आप ईमेलों का जवाब दे रहे हैं।
  • इच्छा: आप काम से तनावित और अधिक कंट्रोल महसूस करना शुरू होते हैं।

समाधान चरण

  • प्रतिक्रिया: आप अपने नाखूनों को काटने लगते हैं।
  • पुरस्कार: आप अपनी इच्छा को पूरा करते हैं और तनाव को कम करने का आनंद लेते हैं। नाखून काटना अब आपके ईमेलों के जवाब देने के साथ जुड़ गया है।

समस्या चरण

  • संकेत: आप जागरूक होते हैं।
  • इच्छा: आप जागरूक महसूस करना चाहते हैं।

समाधान चरण

  • प्रतिक्रिया: आप एक कप कॉफ़ी पीते हैं।
  • पुरस्कार: आप अपनी इच्छा को पूरा करते हैं और जागरूकता का आनंद लेते हैं। कॉफ़ी पीना अब आपके जागने के साथ जुड़ गया है।


समस्या चरण

  • संकेत: आप अपने कार्य में एक बाधा पा लेते हैं।
  • इच्छा: आप महसूस करते हैं कि आप फँस गए हैं और अपने निराश्रिता को कम करना चाहते हैं।

समाधान चरण

  • प्रतिक्रिया: आप अपना फोन निकालकर सोशल मीडिया चेक करते हैं।
  • पुरस्कार: आप अपनी इच्छा को पूरा करते हैं और राहत महसूस करते हैं। सोशल मीडिया चेक करना अब आपके कार्य में फँसने के साथ जुड़ गया है।

समस्या चरण

  • संकेत: आप एक अंधेरे कमरे में चलते हैं।
  • इच्छा: आप देखना चाहते हैं।

समाधान चरण

  • प्रतिक्रिया: आप लाइट स्विच को बंद करते हैं।
  • पुरस्कार: आप अपनी इच्छा को पूरा करते हैं और देखने का आनंद लेते हैं। लाइट स्विच बंद करना अब आपके अंधेरे कमरे में चलने के साथ जुड़ गया है।

व्यवहार बदलने के चार नियम

इस पुस्तक के आगामी अध्यायों में, हम बार-बार देखेंगे कि यहां चार चरण – संकेत, इच्छा, प्रतिक्रिया, और पुरस्कार – लगभग हर दिन हमारे द्वारा किए गए प्रायः सभी कार्यों पर कैसे प्रभाव डालते हैं। लेकिन इससे पहले, हमें इन चार कदमों को एक व्यावहारिक ढंग से परिवर्तित करना होगा जिससे हम अच्छी आदतें बना सकें और बुरी आदतों को समाप्त कर सकें। इस पुस्तक में, चार नियमों के माध्यम से बताया गया है कि कैसे हम अच्छी आदतें बना सकते हैं और बुरी आदतें तोड़ सकते हैं। ये नियम व्यवहारिकता को बदलने के लिए एक सरल ढंग से उपयोगी होते हैं। आप हर नियम को एक पल के रूप में सोच सकते हैं जो मानव व्यवहार को प्रभावित करता है। जब ये नियम सही स्थितियों में होते हैं, अच्छी आदतें बनाना बिना मेहनत के हो जाता है। जब वे गलत स्थितियों में होते हैं, तो यह लगभग असंभव होता है।

अच्छी आदत बनाने के लिए

पहला नियम (संकेत): इसे स्पष्ट बनाएं।
दूसरा नियम (इच्छा): इसे आकर्षक बनाएं।
तीसरा नियम (प्रतिक्रिया): इसे आसान बनाएं।
चौथा नियम (पुरस्कार): इसे संतोषजनक बनाएं।

बुरी आदत तोड़ने के लिए

पहले नियम का उल्टा (संकेत): इसे अदृश्य बनाएं।
दूसरे नियम का उल्टा (इच्छा): इसे अप्रिय बनाएं।
तीसरे नियम का उल्टा (प्रतिक्रिया): इसे कठिन बनाएं।
चौथे नियम का उल्टा (पुरस्कार): इसे असंतोषजनक बनाएं।

लेखक ने यह भी बताया कि नई आदतों का निर्माण करने और पुरानी आदतों को तोड़ने के लिए हमें क्यू, क्रेविंग, रिस्पॉन्स, और रिवॉर्ड के चरणों को समझना और नियंत्रित करना होगा। उदाहरण के लिए:

  • नई आदत का निर्माण: अगर आप व्यायाम की आदत डालना चाहते हैं, तो एक स्पष्ट क्यू (जैसे कि व्यायाम कपड़े तैयार रखना), एक आकर्षक क्रेविंग (जैसे कि फिट और स्वस्थ शरीर), एक सरल रिस्पॉन्स (जैसे कि घर पर 10 मिनट की वर्कआउट), और एक संतोषजनक रिवॉर्ड (जैसे कि एक हेल्दी स्मूथी) का निर्माण करें।
  • पुरानी आदत का तोड़ना: अगर आप जंक फूड खाने की आदत छोड़ना चाहते हैं, तो क्यू को हटाएं (जैसे कि जंक फूड को घर से हटाना), क्रेविंग को कम करें (जैसे कि हेल्दी विकल्प चुनना), रिस्पॉन्स को बदलें (जैसे कि हेल्दी स्नैक्स खाना), और रिवॉर्ड को संशोधित करें (जैसे कि हेल्दी खाने के बाद अच्छा महसूस करना)।

अच्छी आदतें बनाने के चार नियम

अच्छी आदतें बनाने के चार नियम हैं:

  • इसे स्पष्ट बनाएं (Make it Obvious): जिस आदत को अपनाना है उसे स्पष्ट रूप से समझें और अपने वातावरण में बदलाव करें। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ योग करना चाहते हैं, तो अपने योग मैट को ऐसी जगह पर रखें जहाँ आप उसे देख सकें।
  • इसे आकर्षक बनाएं (Make it Attractive): आदत को आकर्षक बनाएं ताकि उसे अपनाने का मन करे। उदाहरण के लिए, अगर आप वर्कआउट करना चाहते हैं, तो उसे एक दिलचस्प खेल या संगीत के साथ जोड़ें जिससे वह आपको अधिक पसंद आए।
  • इसे सरल बनाएं (Make it Easy): आदत को अपनाने में सरलता रखें। छोटे-छोटे कदम उठाएं और प्रक्रिया को आसान बनाएं। उदाहरण के लिए, अगर आप पढ़ने की आदत डालना चाहते हैं, तो शुरुआत में रोज़ केवल 5 मिनट पढ़ें।
  • इसे संतोषजनक बनाएं (Make it Satisfy): आदत को अपनाने के बाद खुद को पुरस्कृत करें। उदाहरण के लिए, एक सप्ताह तक रोज़ाना वर्कआउट करने के बाद अपने लिए एक नई किताब खरीदें।

अगले अध्याय में हम इन नियमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो हमें अच्छी आदतें बनाने में मदद करेंगे।

भाग 2: पहला नियम- इसे स्पष्ट करें (Make it Obvious)

वह व्यक्ति जो सही नहीं दिखता था

लेखक जेम्स क्लियर ने अपनी पुस्तक “एटॉमिक हैबिट्स” में बताया है कि कैसे आदतों को स्पष्ट बनाकर हम उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। एक उदाहरण में, लेखक ने एक व्यक्ति की कहानी साझा की जो स्वस्थ नहीं दिखता था। उसने अपनी आदतों को ट्रैक करना शुरू किया और देखा कि किन-किन बुरी आदतों के कारण उसकी सेहत खराब हो रही थी। इसे ‘आदतों का स्कोर कार्ड’ कहा गया।

आदतों का स्कोर कार्ड

आदतों का स्कोर कार्ड एक ऐसा तरीका है जिसमें आप अपनी सभी आदतों को लिखते हैं और यह देखते हैं कि कौन-सी आदतें आपके लक्ष्यों के अनुरूप हैं और कौन-सी नहीं। इससे आपको यह स्पष्ट हो जाता है कि किन आदतों को बदलने की जरूरत है।

नई आदत शुरू करने का श्रेष्ठतम तरीका

आदतों का ढेर लगाना क्या है? (What is Habit Stacking?)

आदतों का ढेर लगाना एक ऐसी तकनीक है जिसमें आप एक नई आदत को पहले से स्थापित आदत के बाद जोड़ते हैं। इससे नई आदत को अपनाना आसान हो जाता है क्योंकि यह पहले से ही मौजूद आदत के साथ जुड़ी होती है। उदाहरण के लिए:

  • यदि आप सुबह उठकर सबसे पहले चाय पीते हैं और आप नई आदत में ध्यान करना चाहते हैं, तो आप यह तय कर सकते हैं कि “चाय पीने के बाद, मैं 5 मिनट ध्यान करूंगा।”
  • यदि आप रात को सोने से पहले अपने दांत ब्रश करते हैं और आप नई आदत में किताब पढ़ना चाहते हैं, तो आप यह तय कर सकते हैं कि “दांत ब्रश करने के बाद, मैं 10 मिनट किताब पढ़ूंगा।”
आदतों का ढेर लगाने के कदम (Steps to Habit Stacking)

जेम्स क्लियर ने आदतों का ढेर लगाने के लिए कुछ स्पष्ट कदम बताए हैं:

  • मौजूदा आदत पहचानें (Identify a Current Habit): पहले से मौजूद आदत को पहचानें जो नियमित रूप से होती है और उसे नई आदत के लिए ट्रिगर के रूप में इस्तेमाल करें।
  • नई आदत चुनें (Choose a New Habit): उस नई आदत को चुनें जिसे आप अपनाना चाहते हैं। यह आदत छोटी और स्पष्ट होनी चाहिए।
  • आदत का ढेर बनाएं (Create a Habit Stack): मौजूदा आदत और नई आदत को जोड़कर एक स्पष्ट बयान बनाएं। उदाहरण के लिए, “जब मैं [मौजूदा आदत], तब मैं [नई आदत]।”
आदतों को क्रमबद्ध करना

नई आदत शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे किसी पहले से मौजूद आदत के साथ जोड़ देना। इसे “आदत स्टैकिंग” कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ाना मेडिटेशन करना चाहते हैं, तो आप यह कह सकते हैं, “मैं सुबह उठने के बाद 5 मिनट मेडिटेशन करूंगा।” इस प्रकार, एक नई आदत को पहले से मौजूद आदत के साथ जोड़कर आप उसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

अपनी आदतों को पूरी तरह से बदलने का आसान उपाय

अपनी आदतों को बदलने के लिए आप अपने वातावरण में बदलाव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप स्वस्थ खाना खाना चाहते हैं, तो अपने घर में केवल स्वस्थ खाद्य पदार्थ रखें। इस प्रकार, जब भी आप भूखे होंगे, तो आपको केवल स्वस्थ विकल्प ही मिलेंगे।

आदतों को क्रमबद्ध करना – डायग्राम

आदतों को क्रमबद्ध करने के लिए आप एक चार्ट बना सकते हैं जिसमें आप यह दिखा सकते हैं कि कौन-सी आदत के बाद कौन-सी आदत को जोड़ना है। उदाहरण के लिए: सुबह उठना -> दाँत साफ करना -> 10 मिनट योग करना -> नाश्ता करना
इस प्रकार, आप एक दिनचर्या बना सकते हैं जो आपकी आदतों को क्रमबद्ध करती है।

प्रेरणा का अधिक मूल्यांकन

माहौल का महत्व अक्सर अधिक होता है

लेखक बताते हैं कि प्रेरणा की बजाय माहौल का महत्व अधिक होता है। अगर आपका माहौल सकारात्मक और प्रेरणादायक है, तो आप आसानी से अच्छी आदतें अपना सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप पढ़ाई करना चाहते हैं, तो एक शांत और व्यवस्थित जगह पर बैठें जहाँ कोई व्यवधान न हो।

आपके वातावरण का असर
  • साथी आदतें (Companion Habits): वातावरण के अनुकूलता या विरोधकता आपकी आदतों को स्थायी बना सकती है। यदि आपके आसपास के लोग भी वही आदतें अपनाते हैं जो आप बदलना चाहते हैं, तो यह बदलाव लाना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप व्यायाम करना चाहते हैं, तो वातावरण में व्यायाम करने वाले लोगों के साथ होना आपके लिए प्रेरणादायक हो सकता है।
  • विरोधक वातावरण (Opposite Environment): विरोधक वातावरण आपकी आदतों पर अनुकूल प्रभाव डाल सकता है। यदि आप बदलना चाहते हैं, तो वहाँ जाने से पहले विरोधक वातावरण को समझना महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी आहार में सुधार करना चाहते हैं, तो अपने घर में अन्य सब्जियों की उपस्थिति बढ़ाना सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
व्यक्तिगत वातावरण का निर्माण
  • अनुकूल संगठन (Supportive Structure): अपने वातावरण को इस तरीके से संगठित करें कि आपकी नई आदतों को अपनाना आसान हो। यदि आप सुबह व्यायाम करना चाहते हैं, तो अपने बैडरूम में व्यायाम करने के लिए आवश्यक सामग्री रखें।
  • विशेष उत्साह (Special Encouragement): अपने वातावरण में विशेष उत्साह बढ़ाएं, जैसे कि प्रोग्रेस ट्रैकर्स, सबसे अच्छे अनुप्राणन या प्रेरणा पुस्तकें। यह आपको अपने लक्ष्य के प्रति संवेदनशील रखेगा।

उदाहरण

  • परिवार का प्रभाव: एक व्यक्ति ने अपने परिवार के साथ अपनी आहार में सुधार लाने के लिए अपने घर के भोजन को उन सब्जियों से भरा जो उन्हें बेहतर स्वास्थ्य देते हैं।
  • कार्यालय में बदलाव: एक व्यक्ति ने अपने कार्यालय में व्यायाम के लिए व्यायाम के क्षेत्र को संगठित किया ताकि अधिक लोग इसका उपयोग कर सकें।
सफलता के लिए आस-पास का वातावरण कैसे तैयार करें

आप अपने वातावरण को इस प्रकार तैयार कर सकते हैं कि वह आपको आपकी आदतों का पालन करने में मदद करे। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ाना जॉगिंग करना चाहते हैं, तो अपने जूते और कपड़े रात को ही तैयार कर लें ताकि सुबह उठते ही आप जॉगिंग पर जा सकें।

संदर्भ ही संकेत होता है

लेखक बताते हैं कि हमारे संदर्भ (कॉन्टेक्स्ट) ही हमारे संकेत होते हैं। अगर हम अपने संदर्भ को बदलते हैं, तो हम अपनी आदतों को भी बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप ऑफिस में ज्यादा स्नैक्स खाते हैं, तो अपने डेस्क पर स्नैक्स न रखें। इससे आपका संदर्भ बदल जाएगा और आप कम स्नैक्स खाएंगे।

आत्मनियंत्रण का राज

आत्मनियंत्रण का राज है कि हमें अपने आत्मनियंत्रण पर भरोसा करने की बजाय अपने वातावरण को ऐसा बनाना चाहिए जो हमें सही आदतों का पालन करने में मदद करे। उदाहरण के लिए, अगर आप टीवी देखते समय ज्यादा स्नैक्स खाते हैं, तो टीवी देखते समय स्नैक्स न रखें। इससे आपको अपने आत्मनियंत्रण का परीक्षण नहीं करना पड़ेगा।

अच्छी आदतें कैसे बनाएं (इसे स्पष्ट करें) और खराब आदतों को कैसे रोके (इसे अस्पष्ट करें):

अच्छी आदतें कैसे बनाएं (इसे स्पष्ट करें)
रणनीतिविवरणउदाहरण
आदतों का स्कोर कार्ड भरेअपनी वर्तमान आदतों को लिखे ताकि आप उनके प्रति सचेत रहेंहर रात सोने से पहले दिन भर की आदतों का मूल्यांकन करें और लिखें जैसे: सुबह 6 बजे उठना, नाश्ता करना, एक्सरसाइज करना आदि।
क्रियान्वयन की मंशा का उपयोग करें“मेरा व्यवहार उस समय और उस स्थान में यह होगा”“मैं हर सुबह 7 बजे पार्क में 30 मिनट की दौड़ लगाऊंगा।”
आदतों का क्रम बनाएंवर्तमान आदतों के बाद नई आदत जोड़ेंवर्तमान आदतों के बाद नई आदत जोड़ें
अपना वातावरण बनाएअच्छी आदतों के संकेत बनाएं जो स्पष्ट और दृष्टिगोचर होंअपनी एक्सरसाइज मेट को कमरे के सामने रखें ताकि हर सुबह देख सकें और याद दिल सके।
खराब आदतों को कैसे रोके: (इसे अस्पष्ट करें)
रणनीतिविवरणउदाहरण
इनकी ओर ध्यान कम देंअपने वातावरण से खराब आदतों के संकेत को हटा देंयदि आप कम टीवी देखना चाहते हैं, तो टीवी को कमरे के केंद्र से हटाकर अलमारी में रख दें।

अच्छी आदतें बनाने और खराब आदतें रोकने के लिए हमें अपने संकेतों, लक्ष्यों, पर्यावरण, प्रलोभनों, और परिणामों पर ध्यान देना चाहिए। अच्छी आदतों को स्पष्ट और आकर्षक बनाना चाहिए, जबकि खराब आदतों को अस्पष्ट और अप्रिय बनाना चाहिए। आदतों को क्रमबद्ध करना और पर्यावरण को अनुकूल बनाना हमें अच्छी आदतें अपनाने और उन्हें बनाए रखने में मदद कर सकता है।

भाग 3: दूसरा नियम – इसे आकर्षक बनाएं (Make it Attractive)

इस नियम के तहत, लेखक बताते हैं कि किसी आदत को अपनाने के लिए उसे आकर्षक बनाना जरूरी है। यदि आदत आकर्षक नहीं होगी, तो उसे अपनाना मुश्किल होगा। आदत को आकर्षक बनाने के कुछ तरीके:

आदत को अनिवार्य कैसे बनाएं

डोपामिन के प्रेरित फीडबैक लूप

लेखक जेम्स क्लियर बताते हैं कि हमारे दिमाग में डोपामिन का प्रवाह हमारी आदतों को प्रभावित करता है। डोपामिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे मस्तिष्क में खुशी और संतोष का अनुभव कराता है। जब हम कोई आदत अपनाते हैं और उसका परिणाम हमें संतोषजनक लगता है, तो हमारा मस्तिष्क उस आदत को दोहराने के लिए प्रेरित होता है।

डोपामिन का प्रवाह

डोपामिन का प्रवाह तब बढ़ता है जब हम किसी चीज की लालसा करते हैं या उसे प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप अपनी पसंदीदा मिठाई देखते हैं, तो आपका मस्तिष्क डोपामिन रिलीज करता है, जिससे आपकी लालसा बढ़ती है और आप मिठाई खाने के लिए प्रेरित होते हैं।

आदतों को ज्यादा आकर्षक बनाने में प्रलोभन बंडलिंग का इस्तेमाल कैसे करें

प्रलोभन बंडलिंग एक तकनीक है जिसमें आप एक अच्छी आदत को किसी ऐसी गतिविधि के साथ जोड़ते हैं जिसे आप पहले से ही करना पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपको व्यायाम करना पसंद नहीं है लेकिन आपको टीवी देखना पसंद है, तो आप यह तय कर सकते हैं कि आप केवल व्यायाम करते समय ही टीवी देखेंगे। इस प्रकार, टीवी देखने की लालसा आपको व्यायाम करने के लिए प्रेरित करेगी।

आपकी आदतों को आकार देने में परिवार और मित्रों की भूमिका

सामाजिक मानकों का मोहक खिंचाव

हमारे परिवार और मित्र हमारे आदतों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम अपने आस-पास के लोगों को अच्छी आदतें अपनाते हुए देखते हैं, तो हम भी उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।

तीन समूह की नकल – करीबी समूह, बड़ा समूह, ताकतवर लोगों की समूह
  • करीबी समूह (The Close Group): यह आपका परिवार और करीबी मित्र होते हैं। अगर आपका करीबी समूह अच्छी आदतें अपनाता है, तो आप भी उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपके परिवार के सदस्य रोज़ सुबह दौड़ने जाते हैं, तो आप भी उनके साथ दौड़ने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
  • बड़ा समूह (The Many): यह आपके समाज का बड़ा समूह होता है। अगर आपके समाज में स्वस्थ जीवनशैली को महत्व दिया जाता है, तो आप भी उसे अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
  • ताकतवर लोगों की समूह (The Powerful): यह वे लोग होते हैं जिनकी आप प्रशंसा करते हैं या जिनसे प्रेरणा लेते हैं। अगर ये लोग अच्छी आदतें अपनाते हैं, तो आप भी उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका रोल मॉडल रोज़ाना ध्यान करता है, तो आप भी ध्यान करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
सामाजिक मानकों का पालन करना

सामाजिक मानकों का पालन करने की हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। हम उन आदतों को आसानी से अपना सकते हैं जिन्हें हमारे समाज में स्वीकृति मिली होती है। अगर हमारे समाज में स्वस्थ खाने की आदत को महत्व दिया जाता है, तो हम भी स्वस्थ खाने के लिए प्रेरित होंगे।

खराब आदतों के कारण जानकर उन्हें कैसे ठीक करें

लालसा (Craving) कहां से आती है

लालसा हमारी आदतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यह किसी चीज के संकेत या ट्रिगर से उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, अगर आपको जंक फूड की लालसा होती है, तो यह किसी विज्ञापन या दोस्त के जंक फूड खाने के कारण हो सकती है। इस लालसा को समझकर हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

कठिन आदतों का आनंद लेने के लिए अपने दिमाग को फिर से प्रोग्राम करें
  • व्यायाम
    अगर आपको व्यायाम करना पसंद नहीं है, तो आप इसे आकर्षक बनाने के लिए अपने दिमाग को फिर से प्रोग्राम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप व्यायाम करते समय अपनी पसंदीदा संगीत सुन सकते हैं या व्यायाम के बाद अपने आप को एक स्वस्थ स्नैक दे सकते हैं।
  • वित्त
    अगर आपको बचत करना मुश्किल लगता है, तो आप इसे आकर्षक बनाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, हर बार जब आप बचत करते हैं, तो अपने आप को एक छोटा इनाम दें। इससे बचत करना आपके लिए अधिक आकर्षक और संतोषजनक हो जाएगा।
  • ध्यान
    अगर आपको ध्यान करना मुश्किल लगता है, तो आप इसे आकर्षक बनाने के लिए इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, हर सुबह उठने के बाद 5 मिनट ध्यान करें और इसे एक शांत और सुखद अनुभव बनाएं।
  • काम के पहले का संशय
    अगर आपको काम शुरू करने में कठिनाई होती है, तो आप इसे आकर्षक बनाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अपने काम को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करें और हर हिस्से को पूरा करने के बाद अपने आप को एक छोटा इनाम दें।

उदाहरण:

  • प्रलोभन बंडलिंग: लेखक ने उदाहरण दिया कि कैसे एक व्यक्ति ने व्यायाम को आकर्षक बनाने के लिए प्रलोभन बंडलिंग का इस्तेमाल किया। उसने फैसला किया कि वह केवल तभी नेटफ्लिक्स देखेगा जब वह ट्रेडमिल पर होगा। इससे व्यायाम करना उसके लिए आकर्षक बन गया क्योंकि वह अपने पसंदीदा शो देख सकता था।
  • सामाजिक मानकों का पालन: लेखक ने बताया कि कैसे एक महिला ने धूम्रपान छोड़ने के लिए अपने सामाजिक समूह का इस्तेमाल किया। उसने अपने परिवार और दोस्तों को बताया कि वह धूम्रपान छोड़ने की कोशिश कर रही है और उनसे समर्थन मांगा। इससे उसे धूम्रपान छोड़ने में मदद मिली क्योंकि उसके आस-पास के लोग उसे प्रोत्साहित कर रहे थे।
  • कठिन आदतों का आनंद लेना: लेखक ने बताया कि कैसे एक व्यक्ति ने अपनी पढ़ाई को आकर्षक बनाने के लिए छोटे-छोटे इनामों का इस्तेमाल किया। हर बार जब वह एक घंटा पढ़ाई करता था, तो वह अपने आप को एक चॉकलेट बार देता था। इससे पढ़ाई करना उसके लिए अधिक आकर्षक और आनंददायक बन गया।

अच्छी आदत कैसे बनाएं (इसे आकर्षक बनाएं) और खराब आदत कैसे रोकें (इसे अनाकर्षक बनाएं):

अच्छी आदत कैसे बनाएं (इसे आकर्षक बनाएं):
रणनीतिविवरणउदाहरण
प्रलोभन बंडलिंग करेंजो काम आप करना चाहते हैं, उसकी जोड़ी उस कार्य के साथ बनाएं जिसे करने की आवश्यकता है“जब मैं एक्सरसाइज करूंगा, तब ही मैं अपना पसंदीदा पॉडकास्ट सुनूंगा।”
ऐसी संस्कृति से जुड़ें जहाँ इच्छित व्यवहार सामान्य होऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो उन आदतों का पालन करते हैं जिन्हें आप अपनाना चाहते हैंफिटनेस ग्रुप या रनिंग क्लब में शामिल हो जाएं जहाँ लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं।
प्रेरणा देने वाले रिवाज बनाएंकठिन आदतों से पहले कुछ ऐसा करें जिससे आपको प्रसन्नता मिलती होकठिन काम करने से पहले 5 मिनट का ध्यान या अपनी पसंदीदा गाना सुनें।
खराब आदत कैसे रोकें (इसे अनाकर्षक बनाएं):
रणनीतिविवरणउदाहरण
अपने मस्तिष्क को तैयार करेंखराब आदतों की अनदेखी करने के फायदों को प्रमुखता देंअधिक टीवी देखने से बचने के फायदे जैसे अधिक समय मिलना, आँखों की सेहत में सुधार, और अन्य उत्पादक गतिविधियों में समय बिताना।

इस भाग में लेखक ने समझाया है कि कैसे अच्छी आदतों को आकर्षक बनाकर उन्हें अपनाना आसान हो सकता है। डोपामिन के प्रेरित फीडबैक लूप, प्रलोभन बंडलिंग, और सामाजिक मानकों का उपयोग करके हम अपनी आदतों को अधिक आकर्षक बना सकते हैं। इसके साथ ही, कठिन आदतों का आनंद लेने के लिए अपने दिमाग को फिर से प्रोग्राम कर सकते हैं। यह सब हमें अपनी आदतों को बेहतर बनाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

भाग 4: तीसरा नियम – इसे आसान बनाएं (Make it Easy)

इस नियम के तहत, लेखक बताते हैं कि किसी आदत को अपनाने के लिए उसे सरल और आसान बनाना जरूरी है। यदि आदत को अपनाना मुश्किल होगा, तो आप उसे आसानी से छोड़ सकते हैं। आदत को सरल बनाने के कुछ तरीके:

धीमे चलें लेकिन पिछड़े नहीं

नई आदतें बनाने में कितना समय लगता है

लेखक जेम्स क्लियर बताते हैं कि किसी भी नई आदत को बनाने में समय लगता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि आप लगातार प्रयास करते रहें। आमतौर पर कहा जाता है कि किसी आदत को बनाने में 21 दिन लगते हैं, लेकिन लेखक बताते हैं कि यह समय हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है।

उदाहरण: प्रतिदिन 10 मिनट पैदल चलना
लेखक एक उदाहरण देते हैं जिसमें अगर आप प्रतिदिन 10 मिनट पैदल चलते हैं, तो आप धीरे-धीरे इस आदत को बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार, अगर आप 21 दिनों तक लगातार 10 मिनट पैदल चलते हैं, तो यह आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाएगी।

कम से कम प्रयास का नियम

मानवीय व्यवहार का स्वरूप

लेखक बताते हैं कि हम सभी स्वाभाविक रूप से उस रास्ते को चुनते हैं जो हमें कम से कम प्रयास में अधिक परिणाम दे सके। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, हमें अपनी आदतों को ऐसा बनाना चाहिए कि वे कम प्रयास में पूरी हो सकें।

कम प्रयास से अधिक कैसे प्राप्त करें

अगर हम किसी आदत को कम प्रयास से पूरा कर सकते हैं, तो हम उसे आसानी से अपना सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप योग करना चाहते हैं, तो आप अपनी योग मैट को एक ऐसी जगह पर रखें जहाँ आपको बार-बार उसे निकालना न पड़े। इससे आपका समय और प्रयास दोनों बचेंगे।

वातावरण को भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित करें

लेखक बताते हैं कि अपने वातावरण को इस प्रकार तैयार करें कि वह आपकी आदतों को सपोर्ट करे। उदाहरण के लिए, अगर आप सुबह जल्दी उठना चाहते हैं, तो अपने अलार्म को कमरे के दूसरी तरफ रखें ताकि आपको उसे बंद करने के लिए बिस्तर से उठना पड़े। इससे आपकी आदतें स्वत: ही बनेंगी।

टालने की आदतों को दो मिनट नियम से कैसे रोकें

निर्णयक फल डायग्राम

लेखक ने एक निर्णयक फल डायग्राम दिया है जो दिखाता है कि किसी आदत को शुरू करने का सबसे महत्वपूर्ण समय वह होता है जब हम उसे टालना चाहते हैं।

दो मिनट नियम

दो मिनट नियम कहता है कि किसी भी नई आदत को अपनाने के लिए उसे सिर्फ दो मिनट का समय दें। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि आदत को शुरू करना आसान हो और आप उसे टालें नहीं। उदाहरण के लिए, अगर आप पढ़ने की आदत डालना चाहते हैं, तो शुरू में केवल दो मिनट पढ़ें।

आदतों को बनाने के कुछ उदाहरण
  • व्यायाम: “मैं सिर्फ दो मिनट योग करूंगा।”
  • पढ़ाई: “मैं सिर्फ दो मिनट किताब पढ़ूंगा।”
  • ध्यान: “मैं सिर्फ दो मिनट ध्यान करूंगा।”


अच्छी आदतों को अनिवार्य और बुरी आदतों को असंभव कैसे बनाएं

कैसे आदत को स्वचालित बनाएं और उसके बारे में फिर से सोचें

आदतों को स्वचालित बनाने का मतलब है कि उन्हें आपकी दिनचर्या का हिस्सा बना दें ताकि वे अपने आप हो जाएं। उदाहरण के लिए, अगर आप स्वस्थ खाना चाहते हैं, तो अपने फ्रिज में केवल स्वस्थ खाद्य पदार्थ रखें।

अच्छी आदतें सुनिश्चित करने के एक बार के कार्य

कुछ ऐसे कार्य होते हैं जो एक बार करने के बाद आपकी अच्छी आदतें सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप जिम जाना चाहते हैं, तो एक बार जिम की सदस्यता लें और अपनी जिम की किट हमेशा तैयार रखें।

  • सिस्टम डिजाइन: अपनी आदत को सरल बनाने के लिए एक सिस्टम बनाएं। उदाहरण के लिए, अगर आप जिम जाने की आदत डालना चाहते हैं, तो अपने जिम बैग को रात में ही तैयार रखें।
  • फ्रिक्शन कम करना: किसी भी आदत को अपनाने के लिए जरूरी है कि उसके बीच के सभी अवरोधों को कम किया जाए। उदाहरण के लिए, अगर आप सुबह दौड़ने की आदत डालना चाहते हैं, तो अपने जूते और कपड़े पहले से तैयार रखें।

उदाहरण:

स्वचालित आदत: अगर आप रात को जल्दी सोना चाहते हैं, तो अपने कमरे की लाइट को स्वचालित रूप से बंद करने के लिए टाइमर का उपयोग करें।
एक बार का कार्य: अगर आप घर को साफ रखना चाहते हैं, तो एक बार में सभी अनावश्यक चीजों को बाहर निकाल दें और हर चीज के लिए एक निश्चित स्थान निर्धारित करें।

अच्छी आदत कैसे बनाएं (इसे आसान बनाएं) और खराब आदत कैसे रोकें (इसे कठिन बनाएं):

अच्छी आदत कैसे बनाएं (इसे आसान बनाएं):
रणनीति विवरण उदाहरण
अवरोध को कम करेंअपनी और अच्छी आदतों के बीच की कदमों को कम करेंअगर आप रोजाना फल खाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले से धोकर और काटकर फ्रिज में रखें।
वातावरण बनाएंऐसा वातावरण बनाएं कि भावी कार्य आसान हो जाएअगर आपको सुबह योग करना है, तो रात को ही अपनी योग मैट और कपड़े तैयार रखें।
निर्णायक क्षण में दक्ष हो जाएंज्यादा प्रभाव देने वाले छोटे विकल्पों को सटीक करेंजैसे ही आप ऑफिस में पहुंचें, तुरंत कंप्यूटर चालू करें और दिन की महत्वपूर्ण सूची खोलें।
दो मिनट नियम का इस्तेमाल करेंआदतों को तब तक करें जब तक कि वे दो मिनट के नियम में न आ जाएं“मैं सिर्फ दो मिनट के लिए पढ़ाई करूंगा।” यह अक्सर आपको पूरी पाठ्य सामग्री पढ़ने की ओर ले जाएगा।
अपनी आदतों को स्वचालित होने देंतकनीक और एक बार की खरीद में निवेश करके भावी व्यवहार सुनिश्चित करेंस्मार्ट लाइट्स का उपयोग करें जो सोने के समय अपने आप बंद हो जाएं और सुबह के समय जल जाएं।
खराब आदत कैसे रोकें (इसे कठिन बनाएं):
रणनीतिविवरणउदाहरण
अवरोध बढ़ाएंखुद और बुरी आदतों के बीच की कदमों को बढ़ाएंअगर आप कम जंक फूड खाना चाहते हैं, तो उन्हें घर में न रखें। अगर बाहर खाना है, तो विशेष रूप से दूर के रेस्तरां चुनें।
प्रतिबद्धता के किसी एक उपाय को प्रयोग में लेंअपने भावी विकल्पों को उन विकल्पों तक सीमित कर दें, जिनसे फायदा होगाअपने दोस्तों से कहें कि वे आपको एक निश्चित समय के बाद सोशल मीडिया पर न देखें और आपको इसकी जानकारी दें।

इस भाग में लेखक ने बताया है कि कैसे किसी भी आदत को आसान बना कर उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया जा सकता है। धीरे-धीरे चलते हुए, कम प्रयास से अधिक प्राप्त करते हुए, दो मिनट नियम का पालन करते हुए और अच्छी आदतों को स्वचालित बनाते हुए हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

भाग 5: चौथा नियम – इसे संतोषजनक बनाएं (Make it Satisfying)

इस नियम के तहत, लेखक बताते हैं कि किसी आदत को अपनाने के लिए उसे संतोषजनक बनाना जरूरी है। यदि आदत संतोषजनक नहीं होगी, तो उसे लंबे समय तक बनाए रखना मुश्किल होगा। आदत को संतोषजनक बनाने के कुछ तरीके:

व्यवहार बदलने का आधारभूत नियम

तत्कालिक और विलंबित पुरस्कार में संतुलन

लेखक जेम्स क्लियर बताते हैं कि हमारे व्यवहार को बदलने के लिए तत्कालिक और विलंबित पुरस्कार में संतुलन बनाना आवश्यक है। अक्सर हमें तत्कालिक सुख की ओर आकर्षित होते हैं, जबकि दीर्घकालिक लाभ हमें अधिक संतोषजनक परिणाम देते हैं।

तत्कालिक सुख को किस तरह लाभ में बदलें

लेखक के अनुसार, अगर हम किसी अच्छी आदत को तत्कालिक सुख के साथ जोड़ते हैं, तो हम उसे बनाए रखने में अधिक सक्षम होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप व्यायाम करना चाहते हैं, तो हर बार व्यायाम करने के बाद खुद को एक छोटा इनाम दें, जैसे कि अपनी पसंदीदा किताब पढ़ना या एक कप कॉफी पीना।

हर दिन अच्छी आदतों से कैसे जुड़े रहें

आदतों को कैसे बनाए रखें

आदतों को बनाए रखना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमें संघर्ष और संवेदनशीलता के साथ अपने लक्ष्यों तक पहुंचाती है। यहां कुछ मुख्य तरीके हैं जिनसे आप अपनी आदतों को बनाए रख सकते हैं:

  • आदतों को ट्रैक करें: अपनी आदतों को ट्रैक करना आपको उन्हें संदर्भित करने में मदद करता है। यह आपको यह समझने में मदद करता है कि आपकी प्रगति कैसी है और कहां और कैसे सुधार की जानी चाहिए। ट्रैकिंग उपकरण (Tracking Tools): आजकल कई ऐप्स और टूल्स उपलब्ध हैं जो आदतों को ट्रैक करने में मदद करते हैं। ये टूल्स आदतों को निगरानी में आसानी प्रदान करते हैं और प्रेरणा देते हैं कि आगे कैसे बढ़ा जाएं।
  • आदत के लिए प्रेरणा तलाशें: अपनी आदतों को बनाए रखने के लिए अपनी प्रेरणा को परिपूर्ण रखने के लिए उनके प्रति संवेदनशील रहें। अपने लक्ष्यों और सपनों को साकार करने के लिए आदतें बनाना महत्वपूर्ण होता है।
  • छोटे कदम उठाएं: अपनी आदतों को बनाए रखने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं। उदाहरण के लिए, अगर आप योग करना चाहते हैं, तो रोज़ सुबह 10 मिनट आराम से शुरू करें और इसे धीरे-धीरे बढ़ाएं।
  • समर्थन प्राप्त करें: अपने परिवार या मित्रों से समर्थन लें। वे आपको प्रेरित करेंगे और आपकी सफलता में मदद कर सकते हैं। आदतों को बनाए रखने में समर्थन महत्वपूर्ण होता है।
  • लाभ 1: Habit Tracking (आदतों को ट्रैक करना) स्पष्ट होती है
    आदतों को ट्रैक करना आपके प्रगति को स्पष्ट करता है। जब आप अपनी आदतों को ट्रैक करते हैं, तो आप देख सकते हैं कि आपने कितनी बार आदत का पालन किया है। उदाहरण: एक कैलेंडर का उपयोग करें और हर दिन जब आप अपनी आदत को पूरा करते हैं, तो उस दिन को मार्क करें। इससे आप अपनी प्रगति को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
  • लाभ 2: Habit Tracking आकर्षक होती है
    आदतों को ट्रैक करना इसे आकर्षक बनाता है क्योंकि यह आपको संतोष का अनुभव कराता है। जब आप अपनी प्रगति को देखते हैं, तो आप प्रेरित महसूस करते हैं। उदाहरण: अगर आप रोज़ व्यायाम करना चाहते हैं, तो हर बार जब आप व्यायाम करते हैं, तो आप अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं। यह आपको प्रेरित करेगा कि आप अपनी आदत को बनाए रखें।
  • लाभ 3: Habit Tracking संतोषजनक होती है
    आदतों को ट्रैक करना संतोषजनक होता है क्योंकि यह आपको अपने प्रयासों का प्रतिफल दिखाता है। जब आप अपनी आदतों को ट्रैक करते हैं और अपनी प्रगति को देखते हैं, तो यह आपको एक संतोषजनक अनुभव प्रदान करता है। उदाहरण: अगर आप धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं, तो आप हर दिन जब आप धूम्रपान नहीं करते हैं, उसे ट्रैक कर सकते हैं। यह आपको आपके प्रयासों का प्रतिफल दिखाएगा और आपको संतोषजनक अनुभव प्रदान करेगा।
जब आदत छूट जाए तो किस तरह तत्काल उसे प्राप्त करें

अगर कभी आपकी आदत टूट जाए, तो तुरंत उसे फिर से शुरू करने का प्रयास करें। लेखक बताते हैं कि एक गलती को गलती की श्रृंखला में बदलने से बचें उदाहरण: अगर आप एक दिन व्यायाम नहीं कर पाए, तो अगले दिन इसे फिर से शुरू करें और लगातार दो दिन न छोड़ें।

आदत को कब ट्रैक करना है और कब नहीं

आदत को ट्रैक करना तब महत्वपूर्ण होता है जब आप इसे विकसित करने की कोशिश कर रहे होते हैं। लेकिन एक बार जब आदत बन जाए, तो इसे ट्रैक करने की आवश्यकता कम हो सकती है।

किस तरह एक जवाबदेह भागीदारी हर चीज को बदल सकती है

आदत का अनुबंध

आदत का अनुबंध एक लिखित समझौता है जिसे आप अपने और एक जवाबदेह भागीदार के बीच बनाते हैं। इसमें आप यह लिखते हैं कि आप कौन सी आदत को अपनाना चाहते हैं और यदि आप इसे नहीं अपनाते हैं तो क्या परिणाम होंगे। उदाहरण: अगर आप रोज़ सुबह जल्दी उठना चाहते हैं, तो आप अपने दोस्त के साथ एक आदत अनुबंध बना सकते हैं। अगर आप समय पर नहीं उठते हैं, तो आपको अपने दोस्त को एक छोटा जुर्माना देना होगा।

जवाबदेह भागीदारी का प्रभाव

जब आप किसी को अपने प्रयासों के प्रति जवाबदेह बनाते हैं, तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक सक्षम होते हैं। उदाहरण: लेखक ने एक व्यक्ति का उदाहरण दिया जिसने अपने मित्र के साथ एक आदत अनुबंध बनाया कि वह हर हफ्ते 5 दिन व्यायाम करेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता, तो उसे अपने मित्र को $100 देना होगा। इस जवाबदेही ने उसे नियमित रूप से व्यायाम करने के लिए प्रेरित किया।

अच्छी आदत कैसे बनाएं (इसे संतोषजनक बनाएं):
रणनीतिविवरणउदाहरण
सुदृढ़ता से अपनाएंआदत के हो जाने तक तत्काल खुद को प्रेरित करेंअगर आपने योग करने का निर्णय लिया है, तो सुबह उठते ही योग मैट पर जाएं बिना किसी विलम्ब के।
कुछ नहीं करने को आनंददायक बनाएंजब भी खराब आदत की उपेक्षा करें, उसके फायदे भी देखेंअगर आप निकोटीन छोड़ने के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो सोचें कि इससे आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा और आपकी दिनचर्या में उत्तरदायित्व का भाग बनेंगे।
आदत को ट्रैक करेंआदत के लिए एक रेखा बनाएं और इसे तोड़े नहींअपने डेस्क पर एक चार्ट बनाएं जिसमें आप रोजाना अपनी प्रोग्रेस देख सकें।
दूसरी बार करने से चुकें नहींजब भी आप अपनी आदत भूल जाएं, तुरंत फिर से ट्रैक पर आने का निर्णय करेंअगर आपने रोजाना पढ़ने का लक्ष्य रखा है और एक दिन छूट गया, तो अगले दिन फिर से शुरुआत करें।
खराब आदत कैसे रोकें (इसे अशांतोषजनक बनाएं):
रणनीतिविवरणउदाहरण
जिम्मेदार भागीदार बनेंकिसी से अपने व्यवहार के देखते रहने को कहेंअपने साथी को बताएं कि वे आपको यदि वे देखते हैं तो वे आपको बताएं कि वे वास्तव में बदलाव के लिए प्रयास कर रहे हैं।
आदतों का अनुबंध बनाएंगलत आदत की कीमत सार्वजनिक करें और पीड़ादायक बनाएंअपने निकोटीन के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खर्च को अपने दोस्तों के साथ साझा करें और उन्हें इससे कैसे परेशानी हो सकती है, बताएं।

इस भाग में लेखक ने समझाया है कि कैसे आदतों को संतोषजनक बनाकर उन्हें बनाए रखना आसान हो सकता है। तत्कालिक सुख और दीर्घकालिक लाभ के बीच संतुलन बनाकर, आदतों को ट्रैक करके और जवाबदेह भागीदारी के माध्यम से हम अपनी आदतों को मजबूत कर सकते हैं।

भाग 6: उन्नत उपाय – किस तरह मात्रा अच्छे होने से आगे बढ़कर वास्तव में महान बनें

प्रतिभा के बारे में सच

प्रतिभा व्यक्ति की अनूठी क्षमता होती है, जो उसे अन्यों से अलग बनाती है। इसे समझने के लिए हमें अपने रूचिकर्मों, कौशलों और दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एक उदाहरण से समझते हैं:

उदाहरण: एक व्यक्ति जो बचपन से ही गाने में महारत रखता है, अपनी प्रतिभा को समझने के लिए गायन की प्रकार और स्तर को विचार करता है। वह अपने कौशल को बढ़ाते हुए संगीत के क्षेत्र में अधिक मान्यता प्राप्त करता है और अंततः महान गायक बन जाता है।

इस भाग में लेखक प्रतिभा के महत्व पर ध्यान देते हैं। वे बताते हैं कि प्रतिभा क्या है और कैसे हमें अपनी प्रतिभा को पहचानना चाहिए। यहाँ पर कुछ मुख्य बिंदु हैं:

कब जिंस मयने रखते हैं और कब मयने नहीं रखते

हमें अपनी प्रतिभा को समझने के लिए समय लेना चाहिए, कि हमारे पास कौन-कौन से गुण और कौशल हैं जो हमें अलग बनाते हैं। यह गुण हमारी व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं और हमें अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर करते हैं। सफलता के लिए सही क्षेत्र चुनना महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि माइकल फेल्प्स स्विमिंग और हिचाम एल गेरूज दौड़ में।माइकल फेल्प्स और हिचाम एल गेरूज हैं, जो अपने-अपने खेलों में महान क्रीड़ाकार हैं। फेल्प्स, जो स्विमिंग में महारत हासिल करने के लिए प्रसिद्ध हैं, और एल गेरूज, जो दौड़ में विशेष रूप से प्रभावी हैं, दोनों अपने-अपने खेलों में उच्च अंतराल और अनुकूल शारीरिक संरचना के साथ पाए जाते हैं। फेल्प्स और एल गेरूज का उच्च और नीचे विशाल अंतर स्पष्ट करते हैं कि सफलता में जीनों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उच्च अंतराल और अंगूठी लंबाई स्विमिंग के लिए फायदेमंद होती हैं, जबकि दौड़ के लिए लंबी टांगें और छोटी ऊपरी शरीर होता है।

उदाहरण: एक व्यक्ति जो बचपन से ही गाने में महारत रखता है, उसे अपनी गायन की प्रतिभा को पहचानने में समय लगाना चाहिए। वह अपनी आवाज की स्थिति और योग्यता को समझता है और अपने इस क्षेत्र में अधिक सफल होने के लिए अपनी प्रतिभा को विकसित करता है।

आपका व्यक्तित्व आपकी आदतों को कैसे प्रभावित करता है

इस अनुच्छेद में बताया गया है कि आपके जीनेटिक गुण आपकी आदतों पर कैसे प्रभाव डालते हैं। जीनेटिक्स के अनुसार, आपकी प्राकृतिक प्रवृत्ति के अनुसार आपकी आदतें विभिन्न होती हैं। हमारे व्यक्तिगत गुणों को “बिग फाइव” के नाम से पांच भेदों में विभाजित किया गया है, जो हमारे व्यवहार को बयान करते हैं:

  • अनुभव में खुलापन: जिज्ञासु और आविष्कारी से सतर्क और स्थिर तक।
  • समझदारी: संगठित और दक्ष से आरामपसंद और असावधान तक।
  • बहिर्मुखता: बाहरी और ऊर्जावान तक, एकांती और अलगवादी तक (जिन्हें हम अक्सर बाहरवाले और अंदरवाले के रूप में जानते हैं)।
  • सौहार्दता: मिलनसार और दयालु से चुनौतीपूर्ण और अलगाववादी तक।
  • चिंताशीलता: चिंतित और संवेदनशील से आत्मविश्वासी, शांत और स्थिर तक।

इन पांच गुणों की जीनेटिक बुनियादें होती हैं। इसके अलावा, इस अनुच्छेद में यह भी बताया गया है कि हमारी आदतें सिर्फ हमारे व्यक्तित्व पर निर्भर नहीं होतीं, लेकिन वे बिल्कुल भी हमारे जीनेटिक गुणों के अनुसार आसानी से बनती या बिगड़ती हैं। इसलिए, जीनों के अनुसार अपनी आदतों को बनाना और उन्हें स्थिर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उस गेम को कैसे ढूंढें जहां आपके लिए अवसर हों

आपके लिए सही आदत चुनने के लिए पहला कदम यह है कि वह आदत आसान होनी चाहिए जिसमें आपकी प्राकृतिक प्रवृत्ति और क्षमता हो। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, आपको अवसरों की खोज में निरंतर रहना चाहिए और उन्हें अच्छी तरह से अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। यह समझाता है कि व्यक्ति कैसे अपने व्यक्तित्व के अनुसार अपनी आदतों को बनाने में सक्षम होता है और अपनी समर्थिता को बढ़ाता है।

आप अपने लिए सबसे उपयुक्त आदतों और क्षेत्रों को खोजने में सफल होने के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकते हैं:

  • मुझे कौन सी चीजें मज़ेदार लगती हैं, लेकिन दूसरों के लिए काम हैं?
  • मुझे किस कार्य में समय खोने में अधिक आनंद आता है?
  • मैं किस क्षेत्र में औसत व्यक्ति से अधिक लाभ प्राप्त करता हूँ?
  • मुझे क्या अपने आप ही करने में अधिक आसान लगता है?

अपने जीनों से सबसे ज्यादा लाभ कैसे प्राप्त करें

जीनों के माध्यम से हमें यह समझ में आता है कि हमें कौन सी क्षमताओं पर मेहनत करनी चाहिए। यह बताते हैं कि हमें किस विषय में समय और ऊर्जा लगानी चाहिए, कौन से अवसरों की तलाश करनी चाहिए और कौन सी चुनौतियों से बचनी चाहिए। हमें अपनी प्राकृतिकता को अच्छी तरह से समझने से हमारी रणनीति में सुधार हो सकता है।

जीनेटिक विभिन्नताओं का महत्व है, लेकिन हमें अपनी क्षमताओं की सीमाओं के मुकाबले अपनी स्थिति को मापने के लिए किसी अन्य से तुलना करनी चाहिए, न कि यह क्षमताओं के सीलिंग के साथ क्या संबंध है। हमें अपने अभियान्ताओं की मेहनत को भाग्य के रूप में नहीं समझना चाहिए, क्योंकि उनके सफलता में उनकी कठोर मेहनत का भी बड़ा हिस्सा होता है।

विशेष रूप से, लंबे समय तक यह सुनिश्चित करने का एक अच्छा तरीका है कि आप उन आदतों को चुनें जो आपकी प्राकृतिक प्रवृत्ति और कौशलों के साथ संगत हों। उन कार्यों पर मेहनत करें जो आपके लिए आसान हों।

Goldilocks का नियम: जीवन और कार्य में प्रेरित रहने के लिए

स्टीव मार्टिन की कहानी हमें यह सिखाती है कि लंबे समय तक आदतों को बनाए रखने के लिए क्या चाहिए। वह शुरुआती दशकों में ही कॉमेडी में काम करने लगे थे, लेकिन उनके लिए सफलता की कहानी आसान नहीं रही। उन्होंने अनेक प्रयास किए, कई बार असफल हुए, लेकिन धीरे-धीरे उनकी कौशल में सुधार हुआ और वे एक अच्छे कॉमेडियन बन गए।

उनकी कहानी से सीखने के लिए यह जरूरी है कि हमें अपनी आदतों को ऐसे चुनना चाहिए जो हमारी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं के अनुकूल हों। गोल्डिलॉक्स नियम के अनुसार, जब हम किसी कार्य पर काम करते हैं जो हमारी मौजूदा क्षमताओं के सीमा पर होता है, तो हमारी प्रेरणा और उत्साह सबसे अधिक होता है। यह कार्य ना बहुत मुश्किल हो, ना ही बहुत आसान। बस ठीक ही।

जब आप नई आदत शुरू करते हैं, तो महत्वपूर्ण है कि आप वह व्यवहार इतना आसान रखें कि आप उसे पक्का कर सकें भले ही स्थितियाँ अनुकूल नहीं हों। एक बार जब आदत बन चुकी है, तो महत्वपूर्ण है कि छोटे-छोटे तरीके से आगे बढ़ते रहें। ये छोटे सुधार और नए चुनौतियाँ आपको लगातार जुड़े रहने में मदद करते हैं। और अगर आपने गोल्डिलॉक्स जोन को सही ढंग से हिट किया है, तो आप एक फ्लो स्थिति में पहुँच सकते हैं। एक फ्लो स्थिति एक ऐसा अनुभव होता है जब आप किसी गतिविधि में पूरी तरह से डूब जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस अनुभव को मापने की कोशिश की है। उन्होंने यह खोजा कि फ्लो स्थिति प्राप्त करने के लिए, किसी कार्य को आपकी मौजूदा क्षमता से लगभग 4 प्रतिशत आगे होना चाहिए। वास्तविक जीवन में ऐसी तरह से किसी कार्य की कठिनाई को मापना सामान्यत: असंभव होता है, लेकिन गोल्डिलॉक्स नियम का मुख्य विचार यही रहता है: उसी मान्यता के कार्य पर काम करना जो आपकी क्षमताओं की सीमा पर हो।

Goldilocks चरण का उदाहरण देने के लिए, आप एक व्यक्ति को सोच सकते हैं जो नई भाषा सीख रहा है।

  • बहुत आसान: अगर व्यक्ति नई भाषा सीखने का प्रयास करता है और बहुत ही सरल पुस्तकों या मोबाइल ऐप्स का उपयोग करता है जिससे उसे समझने में कोई मुश्किल नहीं होती, तो वह शायद ही प्रेरित होगा और उसमें रुचि रखेगा। इसमें चुनौती की कमी होती है।
  • बहुत कठिन: अगर व्यक्ति एक भाषा के गहरे शास्त्रीय पाठ्यक्रम का सामना करता है, जो उसकी क्षमता से बहुत आगे है, तो वह शायद ही उसमें रुचि रखेगा और आगे बढ़ने का प्रयास करेगा। इसमें अधिक चुनौतियां होती हैं और इससे उसकी प्रेरणा प्रभावित हो सकती है।
  • गोल्डिलॉक्स चरण: बजाय इसके, व्यक्ति उसी भाषा के मध्यवर्ती स्तर का चयन करता है जो उसकी क्षमताओं के अनुसार थोड़ा आगे होता है, लेकिन उसे पूरी तरह से समझने में भी चुनौती प्राप्त होती है। इससे वह भाषा सीखने में व्यस्त रहेगा, उसका ध्यान संकुचित होगा, और उसे लगेगा कि वह प्रयास करने में लायक है।

इस तरह, Goldilocks चरण में रहने से व्यक्ति अपनी नई आदतों में रुचि बनाए रख सकता है और उसको स्थायी बना सकता है।

लक्ष्यों पर काम करते हुए ऊब जाने पर कैसे फोकस करें

यहाँ लेखक बताते हैं कि जब हम अपने लक्ष्यों की ओर पहुँचते हैं, तो कई बार हम ऊब जा सकते हैं। इस स्थिति में हमें फिर से नए उत्साह और दिशा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अपने लक्ष्य पर काम करते समय जब आपको बोरी लगे तो कैसे ध्यान बनाए रखें, इस विषय पर चर्चा करते हुए, एक महत्वपूर्ण संदेश उभरता है: अभ्यास में माहिर होने के लिए आपको बोरियत को भी सहन करना पड़ता है। एक कोच ने बताया कि वास्तविक सफलता उन लोगों को मिलती है जो दिन प्रतिदिन प्रशिक्षण की बोरियत को सह सकते हैं, चाहे वो बिजनेस हो, खेल हो, या कला। इसे उनके ज़रिए प्रेरित होकर आगे बढ़ने की कला सीखनी होगी। यही तरीका है जिससे आप अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं बिना किसी भी स्थिति में बोरियत के द्वारा रोका जाए।

उदाहरण: एक व्यक्ति जो एक लंबी दौड़ की तैयारी कर रहा है, उसने एक समय सारिणी बनाई होती है लेकिन बाद में वह अपनी ध्यान देने की ताकत के बिना छोड़ देता है। उसने फिर से अपने लक्ष्य पर फोकस करने के लिए अपनी समय सारिणी को समीक्षा की और इसे बनाने के लिए नए उत्साह से भर दिया।

अच्छी आदतों को बनाने का कमजोर पक्ष

हर क्षेत्र में माहिर बनने के लिए आदतें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। चाहे वो शतरंज हो या कोई अन्य खेल, आदतें हमें कार्रवाई के बिना काम करने की क्षमता देती हैं। इससे हमारी मानसिक शक्ति और ध्यान बढ़ता है ताकि हम और उन्नति के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

इस विषय पर लेखक बताते हैं कि आदतों के लाभ के साथ उनका एक नुकसान भी होता है। पहले, प्रत्येक पुनरावृत्ति फ्लुएंसी, गति और कौशल का विकास करती है। लेकिन जैसे-जैसे एक आदत स्वचालित होती है, आप प्रतिक्रिया के प्रति कम संवेदनशील हो जाते हैं। आप बिना सोचे उसी रीति से दोहरा रहे होते हैं। गलतियों को छोड़ना आसान हो जाता है। जब आप “ठीक-ठाक” के रूप में स्वचालित रूप से कर सकते हैं, तो आप यह नहीं सोचते कि इसे और बेहतर कैसे किया जा सकता है।

आदतों के फायदे हैं कि हम बिना सोचे काम कर सकते हैं। लेकिन आदतों की हानि यह है कि आप किसी विशेष तरीके से काम करने को आदत बना लेते हैं और छोटी गलतियों पर ध्यान नहीं देते। आप समझते हैं कि आप बेहतर हो रहे हैं क्योंकि आप अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। वास्तव में, आप अपनी वर्तमान आदतों को मजबूती दे रहे हैं—न कि उन्हें सुधार रहे हैं।

अगर आप वास्तव में अपनी क्षमताओं में सुधार चाहते हैं और उत्कृष्ट स्तर पर पहुंचना चाहते हैं, तो आपको आदतों के साथ चिन्हित प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि आपको उन आदतों के अलावा भी प्रयास करना होगा जो आपकी मास्टरी को और आगे ले जाएं।

आदतें + निर्धारित प्रैक्टिस = मास्टरी

मास्टरी एक प्रक्रिया है जिसमें आपको सफलता के छोटे-से तत्व पर ध्यान केंद्रित करना, इसे दोहराना और इस नई आदत का आधार बनाना होता है ताकि आप अपने विकास के अगले सीमा तक पहुँच सकें। पुराने कार्य दूसरी बार में आसान होते हैं, लेकिन समग्र रूप से यह आसान नहीं होता क्योंकि अब आप अपनी ऊर्जा को अगली चुनौती में डाल रहे हैं। मानवीय क्षमता में मास्टरी के लिए आदतें जरूरी हैं, लेकिन सिर्फ आदतों से ही नहीं होता। आपको नए उत्कृष्ट स्तर को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ेगा।

आदतें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन आपको अपनी प्रदर्शन की समय-समय पर सचेतता बनाए रखने की आवश्यकता होती है ताकि आप निरंतर सुधार और बेहतरीन बन सकें। वही वक्त होता है जब आप लगता है कि आपने किसी कौशल को मास्टर कर लिया है—जब सब कुछ स्वचालित महसूस होने लगता है और आप आराम में आ जाते हैं—तब आपको आलस्य में फंसने से बचना चाहिए।

आदतों की समीक्षा और सुधार

इस भाग में लेखक बताते हैं कि कैसे हमें अपनी आदतों की समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए। वे उन धारणाओं को तोड़ने के उपायों पर भी प्रकाश डालते हैं जो हमें आगे बढ़ने में रोकते हैं। उदाहरण: एक व्यक्ति जो अपने समय का सही उपयोग नहीं करता, वह अपने दिन की पूरी योजना बनाकर और अपने कार्यों को प्राथमिकता देकर अपनी आदतों को समीक्षा कर सकता है। उसे अपने काम को प्राथमिकता देने के लिए समय का उपयोग

लेखक बताते हैं कि उनकी ओर से, वह दो मुख्य प्रकार की समीक्षा और समीक्षा करते है।

सालाना समीक्षा: हर साल दिसंबर में, वह एक वार्षिक समीक्षा करते है, जिसमें वह पिछले वर्ष के उपलब्धियों को देखते है। इसमें वह अपनी आदतों को गिनती से जांचते है, कितने लेख लिखे, कितनी व्यायाम की, कितने नए स्थानों का अवलोकन किया। फिर वह तीन प्रश्नों का उत्तर देते है :

  • इस वर्ष क्या अच्छा हुआ?
  • इस वर्ष क्या अच्छा नहीं हुआ?
  • मैंने क्या सीखा?

इससे मुझे यह जानने में मदद मिलती है कि मैं कैसे अपनी प्रगति को समझ सकता हूँ और कैसे सुधार कर सकता हूँ।

ईमानदारी रिपोर्ट: साल के बीच में, जब गर्मियां आती हैं, वह एक ईमानदारी रिपोर्ट भी लेते है। इसमें वह अपने गलतियों को समझते है और उन्हें दूर करने का प्रयास करते है। वह इसे अपने मूल्यों को पुनः जांचने और सोचते है कि क्या वह उस प्रकार के व्यक्ति के रूप में जी रहे है जो वह बनना चाहता है। इस रिपोर्ट में वह तीन प्रश्नों का उत्तर देते है:

  • मेरे जीवन और काम को चलाने वाले मूल्य क्या हैं?
  • मैं वर्तमान में इन मूल्यों के साथ कैसे जी रहा हूँ और काम कर रहा हूँ?
  • भविष्य में मैं एक उच्च मानक स्थापित कर सकता हूँ?

ये दोनों रिपोर्टें बहुत ही ज्यादा समय नहीं लेतीं—साल में कुछ घंटे ही—लेकिन ये अत्यधिक महत्वपूर्ण होतीं हैं। ये धीरे-धीरे पतन से बचातीं हैं, जो हम ध्यान नहीं देने पर हो सकता है। इन्हें हमें याद दिलातीं हैं कि हम अपने चाहिए गए व्यक्तित्व को पुनः देखें और यह विचार करें कि हमारी आदतें हमें उस प्रकार के व्यक्ति बनने में कितनी सहायक हैं।

इस प्रकार, “एटॉमिक हैबिट्स” के भाग 6 में हमें यह सिखाया गया है कि कैसे हम अपनी प्रतिभा को पहचान सकते हैं, अपने व्यक्तित्व को और बेहतर बना सकते हैं, और अपनी आदतों को सुधारकर अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर कर सकते हैं। यह हमें उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आधुनिक जीवन में सफलता की कुंजी आदतें होती हैं। जेम्स क्लियर द्वारा लिखी गई “Atomic Habits” हमें यह सिखाती है कि छोटी-छोटी परिवर्तनों में छिपी बड़ी ताकत होती है। इस पुस्तक ने मुझे यह समझाया है कि सकारात्मक आदतें विकसित करने और खराब आदतों से छुटकारा पाने का सही तरीका क्या है।

हर अध्याय ने मुझे नई दिशाएँ दिखाईं, हर प्रकरण ने मुझे प्रेरित किया कि मैं अपनी जीवनशैली में सुधार ला सकता हूँ। यह पुस्तक एक प्रेरणास्पद यात्रा थी जो मुझे यह बताने के लिए मजबूर करती है कि हर क्षण के साथ मैं अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो सकता हूँ।

अगर आप भी अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो “Atomic Habits” आपके लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकती है। इस पुस्तक ने मुझे यह सिखाया है कि हमारी सफलता हमारी दैनिक आदतों पर निर्भर करती है, और वे बदलाव हमें जीवन में महत्वपूर्ण परिणाम लाने में सक्षम हो सकते हैं।

इस पुस्तक को पढ़कर मुझे विश्वास हो गया है कि हर व्यक्ति में बदलाव लाने की क्षमता होती है। बस हमें उसका सही दिशा में उपयोग करना होता है। अगर हम सकारात्मक आदतों का अनुसरण करते हैं, तो हम अपने सपनों को हासिल करने से कभी नहीं रुकते।

यह पुस्तक मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में मदद करी है, और मैं आपको भी इसे पढ़ने की सलाह दूंगा। आपको यह समरी कैसी लगी, कृपया टिप्पणी (Comment) करें। इसकी वीडियो देखनी है और विस्तार से जाननी है, तो हमारे YouTube चैनल “Gyankool Guide (ज्ञानकूल गाइड)” में देख सकते हैं। और उसे सब्सक्राइब कर सकते हैं। धन्यवाद।

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